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Interim Budget 2024: क्या आप जानते हैं देश के बजट से जुड़े ये 10 दिलचस्प फैक्ट?

Interim Budget 2024: भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह छठा बजट होगा। वहीं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का यह 12वां बजट होगा। साल 1950 तक बजट डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में हुआ करती थी। वर्ष 1980 से बजट डॉक्युमेंट्स की छपाई केंद्रीय सचिवालय के नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बनी प्रिटिंग प्रेस में होती है

अपडेटेड Jan 14, 2024 पर 4:35 PM
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Interim Budget 2024: इस बजट में सरकार केवल 4 महीनों के लिए प्रपोजल्स पेश करेगी।

Interim Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट (Interim Budget 2024-25) 1 फरवरी 2024 को संसद में पेश किया जाने वाला है। भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का यह छठा बजट होगा। वहीं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) का यह 12वां बजट होगा। 2024 के अप्रैल-मई में आम चुनाव होने जा रहे हैं। इसके चलते इस साल 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। इस बजट में सरकार केवल 4 महीनों के लिए प्रपोजल्स पेश करेगी। चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद केंद्र की सत्ता में नई सरकार के आने के बाद पूर्ण बजट पेश किया जाएगा। आइए जानते हैं देश के बजट से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट...

बजट पेश करने की तारीख में बदलाव

साल 2016 तक केंद्रीय बजट, पारंपरिक रूप से फरवरी के आखिरी वर्किंग डे पर पेश किया जाता था। यानि कि 28 या 29 फरवरी। लेकिन फिर साल 2017 में बजट को फरवरी के आखिरी दिन के बजाय पहले दिन पेश किए जाने की परंपरा शुरू हुई। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने पहली बार 1 फरवरी 2017 को देश का आम बजट पेश किया। बजट पेश करने की तारीख बदलने की वजह थी कि देश में वित्त वर्ष का साइकिल अप्रैल से मार्च है। बजट फरवरी की आखिरी तारीख को पेश होने से बजट प्रस्तावों को अमल में लाने से जुड़ी प्रक्रियाएं, नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरी नहीं हो पाती थीं। इससे नए वित्त वर्ष के लिए नीतियां बनाने और बजट प्रस्तावों को लागू करने में देरी होती थी। बजट प्रस्तावों से जुड़ी प्रक्रियाएं नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले वक्त रहते पूरी हो सकें, इसके लिए बजट पेश करने की तारीख बदली गई। इसके चलते आर्थिक सर्वे पेश करने की तारीख भी बदलकर 31 जनवरी की गई।


बजट पेश करने के वक्त में बदलाव

साल 1999 तक औपनिवेशिक परंपरा का पालन करते हुए, केंद्रीय बजट शाम 5 बजे पेश होता था। शाम को बजट पेश करने की परंपरा ब्रिटिश काल से थी। दरअसल ब्रिटेन में सुबह 11 बजे बजट पेश होता है। आजादी के पहले इस बजट में भारत के लिए भी बजट का आवंटन शामिल रहता था। इसलिए भारत में भी उसी समय बजट पेश किया जाना जरूरी था। ब्रिटेन में जब सुबह के 11 बजे होते हैं तो उस समय भारत में शाम के 5 बजे होते हैं। इसलिए भारत में बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे था।

फिर 27 फरवरी 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया। तब से देश में बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाने लगा।

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हलवा सेरेमनी

बजट पेश करने से एक सप्ताह पहले, एक 'हलवा सेरेमनी' आयोजित की जाती है। इसमें वित्त मंत्री, वित्त मंत्रालय मंत्रालय के अधिकारियों के बीच 'हलवा' वितरित करते हैं। इस सेरेमनी के साथ ही बजट को अंतिम रूप देने का काम शुरू हो जाता है। सेरेमनी के बाद बजट की प्रिंटिंग से जुड़े वित्त मंत्रालय के कर्मचारी, प्रिंटिंग शुरू होने से लेकर बजट पेश किए जाने तक नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बनी प्रिटिंग प्रेस में रहते हैं, ताकि बजट की गोपनीयता बनी रहे। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश करने के बाद ही ये अधिकारी और कर्मचारी अपने प्रियजनों के संपर्क में आते हैं। इस अवधि को लॉक इन अवधि कहा जाता है। डिजिटल तरीकों को अपनाने से लॉक-इन अवधि दो सप्ताह से घटकर केवल 5 दिन रह गई है।

डिजिटल/पेपरलेस बजट

कोविड महामारी को देखते हुए वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट यानी बजट 2021 को पहली बार पेपरलेस रूप में पेश किया गया था। संसद सदस्यों (सांसदों) और आम जनता द्वारा बजट दस्तावेजों की परेशानी मुक्त एक्सेस के लिए एक 'केंद्रीय बजट मोबाइल ऐप' भी लॉन्च किया गया था। इसके बाद बजट 2022, बजट 2023 भी पेपरलेस रहा। डिजिटल बजट अब एक टैब में रहता है।

ब्रीफकेस परंपरा बंद

साल 2018 तक देश के केंद्रीय वित्त मंत्री बजट को चमड़े के ब्रीफकेस में संसद ले जाते थे। लेकिन यह परंपरा अब खत्म हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019 से एक नई परंपरा शुरू की, जिसमें उन्होंने बजट को लाल कपड़े या पाउच में लेकर आना शुरू किया। इसे भारतीय बही खाता नाम दिया गया।

दो हिस्सों में होता है बजट

केंद्रीय बजट में दो भाग होते हैं- वार्षिक वित्तीय विवरण या रेवेन्यू और खर्च। वार्षिक वित्तीय विवरण, आगामी वित्त वर्ष के लिए सरकार के रेवेन्यू की समरी होता है। वहीं दूसरा हिस्सा, जिसे Demand for Grants भी कहा जाता है, नए वित्त वर्ष में सरकार कहां-कहां खर्च करेगी, इसकी रूपरेखा प्रस्तुत करता है।

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संसदीय प्रक्रिया

वित्त मंत्री एक भाषण में केंद्रीय बजट पेश करते हैं। इसके बाद इस पर लोकसभा में चर्चा और मतदान होता है।

राष्ट्रपति की मंजूरी

संसद में केंद्रीय बजट पेश करने से पहले, वित्त मंत्री मंजूरी लेने के लिए राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मिलते हैं। वित्त मंत्री, वित्त मंत्रालय से बजट और बजट टीम के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचते हैं। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है।

केवल 800 शब्दों का बजट

देश मे एक ऐसा बजट भाषण भी हुआ है, जो केवल 800 शब्दों का था। इतना छोटा बजट भाषण हीरुभाई मुलजीभाई पटेल (Hirubhai Mulljibhai Patel) ने 1977 में दिया था। इसे ही भारत के इतिहास में सबसे छोटा बजट भाषण कहा जाता है। हीरुभाई मुलजीभाई पटेल, मोरारजी देसाई सरकार में 26 मार्च 1977 में वित्त मंत्री बने थे। वह देश के 11वें वित्त मंत्री थे। वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने 24 जनवरी 1979 तक अपनी सेवा दी। इसके बाद 1979 में वह देश के गृह मंत्री बने।

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एक बार हुआ था लीक

साल 1950 तक बजट डॉक्युमेंट्स की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में हुआ करती थी। लेकिन फिर साल 1950 में बजट का कुछ हिस्सा लीक हो गया। इसके बाद बजट डॉक्युमेंट्स की छपाई नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में की जाने लगी। इसके बाद एक बार फिर बजट प्रिंटिंग की जगह को बदला गया और वर्ष 1980 से बजट डॉक्युमेंट्स की छपाई केंद्रीय सचिवालय या सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग (Central Secretariat or Secretariat Building) के नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बनी प्रिटिंग प्रेस में होती है। वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) भी इसी बिल्डिंग में नॉर्थ ब्लॉक में स्थित है।

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