वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) अपना चौथा बजट पेश करने जा रही है। उनके सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। कोरोना का असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ रहा है। ऐसे में इकोनॉमी (Indian Economy) को फिर से तेज ग्रोथ की पटरी पर लाना मुश्किल लग रहा है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त वर्ष 2024-25 तक इंडिया को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है।
जॉब्स के बारे में राव का मानना है कि हालात में सुधार आ रहा है। उन्होंने कहा कि सीएमआईई के डाटाबेस से पता चलता है कि देश में बेरोजगारी दर फिर से कोरोना-पूर्व के 7 फीसदी पर आ गई है। हालांकि, लोअर लेबर पार्टिसिपेशन जनवरी 2020 के मुकाबले 2 फीसदी कम है। उन्होंने कहा कि पहले सरकार खर्च बढ़ाने पर फोकस करेगी। फिर, प्राइवेट सेक्टर के इन्वेस्टमेंट बढ़ाने की उम्मीद की जा सकती है। सरकार ने पूंजीगत खर्च बढ़ाने के लिए नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन जैसी योजना बनाई है। इसके अलावा उसका जोर डिजिटल इकोनॉमी और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने पर है।
उधर, दुनिया भर में केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति को सख्त बनाने के संकेत दे रहे हैं। राव ने कहा कि अमेरिका और जी10 देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी इमर्जेंसी पॉलिसीज वापस लेने की बात कही है। भारत में भी रिजर्व बैंक (RBI) ने स्थितियां सामान्य होने के संकेत दिए हैं। चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों के आंकड़ों खासकर रेवेन्यू और टैक्स कलेक्शन को देखें तो उनमें बड़ा सुधार दिख रहा है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य से ज्यादा रेवेन्यू कलेक्शन और नॉमिनल जीडीपी के अच्छे आंकड़ों से खर्च में बढ़ोतरी का ज्यादा बोझ राजकोषीय स्थिति पर नहीं पड़ेगा। इससे चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8 फीसदी रह सकता है।