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Union Budget 2023-24: म्यूचुअल फंड्स और ULIP पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के टैक्स नियमों में समानता चाहती है AMFI

Union Budget 2023-24: अभी म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों के कैपिटल गेंस पर 10 फीसदी टैक्स लगता है। यूलिप के कैपिटल गेंस पर टैक्स के नियम अलग हैं। कुछ शर्तें पूरी करने पर यूलिप पर कैपिटल गेंस पर किसी तरह का टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है

अपडेटेड Dec 20, 2022 पर 1:50 PM
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एंफी ने डिविडेंड पेमेंट पर टीडीएस के नियम में भी बदलाव की मांग की है। अभी 5000 रुपये से ज्यादा डिविडेंड पेमेंट टीडीएस के दायरे में आता है। एंफी ने इस लिमिट को बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की मांग की है।

Union Budget 2023-24: म्यूचुअल फंड्स पर इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ा है। 2020 में शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने के बावजूद ज्यादातर इनवेस्टर्स ने अपने SIP बंद नहीं किए। इनवेस्टर्स की बढ़ती दिलचस्पी की वजह से म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों का एसेट अंडर मैनेजमेंट 40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) का मानना है कि सरकार अगर म्यूचुअल फंड इनवेस्टर्स के लिए टैक्स छूट बढ़ाने सहित कुछ फैसले लेती है तो इससे इस इंडस्ट्री की ग्रोथ और तेज होगी। एंफी ने अपनी उम्मीदों के बारे में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को बता दिया है। वित्त मंत्री 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट (Budget 2023) पेश करेंगी।

म्यूचुअल फंड्स और यूलिप के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम में फर्क

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री म्यूचुअल फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों के ULIPS के कैपिटल गेंस पर टैक्स के एक जैसे नियम चाहती है। अभी म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों के कैपिटल गेंस पर 10 फीसदी टैक्स लगता है। यूलिप के कैपिटल गेंस पर टैक्स के नियम अलग हैं। सम एश्योर्ड चुकाए गए प्रीमियम का 10 गुना होने, पांच साल के लॉक-इन के बाद पैसे निकालने और चुकाया गया प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से कम होने पर यूलिप के कैपिटल गेंस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। एंफी का कहना है कि नियमों के बीच इस फर्क को दूर करने की जरूरत है।


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ULIPs के मामले में एक ऑप्शन से दूसरे ऑप्शन में स्विच (Switch) को कैपिटल गेंस नहीं माना जाता है। म्यूचुअल फंड्स में ग्रोथ ऑप्शन से डिविडेंड ऑप्शन या रेगुलर प्लास से डायरेक्ट प्लान में स्विच को ट्रांसफर माना जाता है, जिससे इस पर कैपिटल गेंस लगता है। एंफी का मानना है कि वित्त मंत्री को इस तरह के स्विच को ट्रांसफर मानने के नियम को खत्म कर देना चाहिए। इससे इस पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगेगा।

यूनिट्स स्विच के नियम भी अलग-अलग

म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों के विलय की स्थिति में एक प्लान से दूसरे प्लान में म्यूचुअल फंड्स यूनिट्स के शिफ्ट को ट्रांसफर नहीं माना जाता है, जिससे इस पर टैक्स नहीं लगता है। इसी तरह लिस्टेड डिबेंचर्स और जीरो कूपन बॉन्ड से जुड़े टैक्स के नियम भी आसान हैं। उदाहरण के लिए लिस्टेड डिबेंचर्स को 12 महीने से ज्यादा समय तक रखने पर 10 फीसदी के रेट से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स लगता है। लेकिन, डेट म्यूचुअल फंड्स को 36 महीने से ज्यादा समय तक रखने पर 20 फीसदी एलटीसीजी टैक्स लगता है। सच्चाई यह है कि उपर्युक्त दोनों डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं। इसलिए टैक्स के नियम भी एक जैसे होने चाहिए। एंफी ने वित्तमंत्री से टैक्स के नियमों में इस अंतर को खत्म करने की मांग की है।

टीडीएस के लिए डिविडेंड पेमेंट की लिमिट बढ़ाने की जरूरत

एंफी ने डिविडेंड पेमेंट पर टीडीएस के नियम में भी बदलाव की मांग की है। अभी 5000 रुपये से ज्यादा डिविडेंड पेमेंट टीडीएस के दायरे में आता है। एंफी ने इस लिमिट को बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की मांग की है।

अभी म्यूचुअल फंड्स की ELSS में 500 रुपये के मल्टीपल में निवेश की इजाजत है। कई निवेशक इस रूल पर सवाल उठाते हैं। इस नियम की वजह से तब दिक्कत आती है जब एक इनवेस्टर्स सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) के जरिए टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के लिए इनरॉल कराता है। एसटीपी आपको एकमुश्त रकम लिक्विड फंड में रखने और फिर रेगुलर इंटरवल पर एक फिक्स्ड अमाउंट टैक्स-सेविंग स्कीम में ट्रांसफर करने की सुविधा देता है। लेकिन, फिक्स्ड अमाउंट की हर किस्त ट्रांसफर होने के बाद अगर 500 रुपये से कम अमाउंट लिक्विड फंड में बच जाता है तो फिर दिक्कत आती है।

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