Union Budget 2023 : सरकार इस यूनियन बजट में सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाने के साथ मिडिल क्लास को कई सौगात देने की तैयारी में है। हाल में, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान से टैक्सपेयर्स की बजट से उम्मीदें भी खासी बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा था कि वह मिडिल क्लास (middle class) से और उनके दबाव को समझती हैं। एक्सपर्ट्स को भी भरोसा है कि 2024 के आम चुनाव से पहले वह मिडिल क्लास को लुभाने का मौका गंवाना नहीं चाहेगी। बीते एक साल के दौरान मिडिल क्लास को कीमतों में बढ़ोतरी और जॉब कट जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है।
2014 से नहीं बढ़ी एग्जम्प्शन लिमिट
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय विभिन्न विभागों से खास कदमों पर मिले प्रस्तावों पर विचार कर रहा है, जो मिडिल क्लास से जुड़े एक बड़े तबके को फायदा पहुंचा सकते हैं और इनका ऐलान बजट में किया जा सकता है।
सरकार ने 2014 से ही इनकम टैक्स एग्जम्प्शन लिमिट (income tax exemption limit) 2.5 लाख रुपये से नहीं बढ़ाई है, जो 2014 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले बजट में तय की थी। इसके साथ ही 2019 से ही स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये के स्तर पर बना हुआ है।
स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने की जरूरत
कई विशेषज्ञों की राय है कि सैलरीड मिडिल क्लास को बढ़ी हुई महंगाई की भरपाई के लिए एग्जम्प्शन लिमिट के साथ-साथ स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाने की आवश्यकता है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी याद दिलाया है कि वर्तमान मोदी सरकार ने मिडिल क्लास पर कोई नया कर नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि रहन सहन को आसान बनाने के लिए सरकार ने 27 शहरों में मेट्रो रेल नेटवर्क तैयार किए जा रहे हैं और 100 स्मार्टसिटी विकसित किए जा रहे हैं।
बढ़ सकती है 80सी की लिमिट
एग्जम्प्शन लिमिट और स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव के अलावा वित्त मंत्रालय 80सी के तहत लिमिट बढ़ाने की संभावना पर भी विचार कर रहा है, जिसमें जीवन बीमा, एफडी, बॉन्ड, हाउसिंग और पीपीएफ समेत अन्य में निवेश शामिल हैं। अभी तक इसकी लिमिट सिर्फ 1.50 लाख रुपये है।
सूत्रों ने कहा कि मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर भी विचार किया जा रहा है। साथ ही, सरकार मिडिल क्लास से जुड़े इनवेस्टर्स को लाभ पहुंचाने के लिए कैपिटल गेन्स टैक्स (capital gains tax) से जुड़े नियमों को आसान बना सकती है जिन्होंने कैपिटल मार्केट में निवेश करना शुरू कर दिया है।
इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए हो सकती है पेशकश
इंश्योरेंस इंडस्ट्री जीवन बीमा के लिए एक अलग टैक्स डिडक्शन प्रोविजन, एन्युटी इनकम के लिए टैक्स छूट और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए ऊंचे डिडक्शन की मांग कर रही है।
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ प्रशांत त्रिपाठी ने कहा कि यदि इंश्योरेंस सेगमेंट पर जोर के साथ सेक्शन 80सी के तहत लिमिट बढ़ती है तो इससे टर्म इंश्योरेंस और अन्य प्रोटेक्शन स्कीम को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।