Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के आगामी पूर्ण बजट में महंगाई के उच्च स्तर को देखते हुए सबसे निचले स्लैब के लोगों के लिए आयकर राहत (Income Tax Relief) पर विचार करने की जरूरत है। यह बात CII (Confederation of Indian Industry) के नए प्रेसिडेंट संजीव पुरी ने कही है। पुरी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ इंटरव्यू में भूमि, श्रम, बिजली और कृषि से संबंधित सभी सुधारों को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति बनाने को एक इंस्टीट्यूशनल प्लेटफॉर्म बनाने का भी सुझाव दिया।
उद्योग मंडल ने कहा कि उसे नहीं लगता कि गठबंधन राजनीति की मजबूरियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में सुधारों में बाधक बनेंगी। इसके बजाय उसका मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन और पिछले दो कार्यकाल में नीतियों की सफलता इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए आधार तैयार करेगी। वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा, ‘‘मोटे तौर पर, मैं इस समय कहूंगा कि सार्वजनिक पूंजीगत व्यय, राजकोषीय प्रगति पथ का पालन, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए रोडमैप, ग्रीन फंड और ग्रामीण क्षेत्र में अधिक निवेश...ये व्यापक सिद्धांत हैं।’’
देश में कहां पहुंच चुकी है महंगाई
खाने पीने की चीजों, खासकर सब्जियों और मैन्युफैक्चर्ड चीजों की कीमतों में वृद्धि के कारण इस साल मई में थोक महंगाई लगातार तीसरे महीने बढ़कर 2.61 प्रतिशत हो गई। अप्रैल में यह 1.26 प्रतिशत पर थी और मई 2023 में शून्य से नीचे 3.61 प्रतिशत थी। मई में खुदरा महंगाई घटकर 4.75 प्रतिशत पर आ गई, जो एक साल का सबसे निचला स्तर है। पुरी ने कहा कि CII का अनुमान है कि मानसून अच्छा रहने की वजह से खुदरा महंगाई इस साल 4.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी। पुरी का मानना है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ब्याज दरों में कुछ नरमी देखने को मिलेगी।
टैक्स के मामले में जारी रहना चाहिए सरलीकरण
टैक्स के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारा सुझाव है कि इस मोर्चे पर सरलीकरण की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। कैपिटल गेन्स को लेकर कुछ सुझाव हैं। कैपिटल गेन्स अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट्स के मामले में अलग-अलग है। क्या इसे सुसंगत किया जा सकता है।’’ पुरी ने आगे कहा कि TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) और दरों की बहुलता में कुछ परिचालन संबंधी कठिनाइयां हैं और CII इनके सरलीकरण को प्राथमिकता देगा।
पुरी के मुताबिक, "...जहां तक सीमा शुल्क का सवाल है, हमें समय के साथ तीन-स्तरीय ढांचे की ओर बढ़ना चाहिए, जो कि सबसे निचले स्तर पर प्राइमरी, बीच में इंटरमीडिएट्स और फिर तैयार माल है। समय के साथ सभी पर उचित समझे जाने पर कुछ अपवादों के साथ मॉडरेट रेट होनी चाहिए।" CII प्रेसिडेंट ने यह भी आशा व्यक्त की कि सुधार प्रक्रिया को आगे और मजबूत करना चाहिए।