दिग्गज प्राइवेट इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन (Blackstone) अगले हफ्ते फार्मा कंपनी सिप्ला (Cipla) की हिस्सेदारी खरीदने के लिए नॉन-बाइंडिंग बिड दाखिल करने वाली है। एक मीडिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक रेवेन्यू के हिसाब से देश की तीसरी सबसे बड़ी जेनेरिक कंपनी सिप्ला के प्रमोटर की 33 फीसदी हिस्सेदारी के लिए यह बोली लगाएगी। इस हिस्सेदारी की बिक्री के बाद सिप्ला से हामिद परिवार (Hamied Family) के बाहर निकलने की प्रक्रिया औपचारिक रुप से शुरू हो जाएगी। हामिद परिवार ने इसे 1935 में शुरू किया था। देश की सबसे पुरानी फार्मा कंपनी सिप्ला की हिस्सेदारी खरीदने के ब्लैकस्टोन के फैसले को लेकर कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी जयराम रमेश ने निराशा जताई है।
Congress के जयराम रमेश क्यों हैं निराश
जयराम रमेश ने इसे लेकर एक्स पर लिखा, "यह जानकर दुख हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा निजी इक्विटी फंड ब्लैकस्टोन भारत की सबसे पुरानी दवा कंपनी सिप्ला में पूरी 33.47% प्रमोटर हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है। सिप्ला को 1935 में ख्वाजा अब्दुल हामिद ने शुरू किया था, जिन पर महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद का गहरा प्रभाव था। उन्होंने सीएसआईआर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।"
जयराम रमेश ने आगे लिखा कि सिप्ला जल्द ही भारतीय राष्ट्रवाद का एक चमकदार उदाहरण बनकर उभरा और उनके बेटे यूसुफ हामिद ने सिप्ला को कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं का ग्लोबल सप्लॉयर बना दिया और अमेरिकी, जर्मन और ब्रिटिश एकाधिकार और पेटेंटहोल्डर्स को सफलतापूर्वक चुनौती दी। उन्होंने दूसरी कई भारतीय कंपनियों के लिए भी भारत के बाहर विस्तार करने के लिए रास्ता तैयार किया। जयराम रमेश ने सिप्ला को देश के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का एक अभिन्न अंग बताया और कहा कि ब्लैकस्टोन इसे खरीद रही है, इस खबर ने दुखी कर दिया है।
Cipla की वित्तीय सेहत कैसी है
मनीकंट्रोल ने हाल में जानकारी दी थी कि सिप्ला के टॉप शेयरहोल्डर्स अपनी करीब 33.47 ऱीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए ब्लैकस्टोन और बेरिंग एशिया से बातचीत कर रही है। इसके लिए कंपनी ने एक इनवेस्टमेंट बैंक को भी काम पर रखा था। हालांकि कंपनी ने इसे लेकर कोई जानकारी नहीं दी है और एक्सचेंज फाइलिंग में जानकारी दी थी कि कंपनी को किसी भी ऐसी घटना की जानकारी नहीं है जिसका लिस्टिंग से जुड़े नियमों के तहत खुलासा करना जरूरी है।
अब कंपनी के वित्तीय सेहत की बात करें तो जून 2023 तिमाही में इसका कंसालिडेटेड नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 45.1 फीसदी उछलकर 995.7 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान रेवेन्यू भी 17.7 फीसदी चढ़कर 6,328.9 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके अमेरिकी कारोबार को तो सालाना आधार पर 43 फीसदी अधिक 22.2 करोड़ डॉलर का रिकॉर्ड रेवेन्यू हासिल हुआ।