दिग्गज एडुटेक कंपनी बायजूज (Byju's) की मुश्किलें खत्म ही नहीं हो रही है। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अब लेंडर्स ने बायजूज की अमेरिकी कंपनी बायजूज अल्फा (Byju’s Alpha) को कोर्ट में घसीट लिया है। यह मामला डेलवेयर के एक कोर्ट में चल रहा है और इसमें इस बात को लेकर भी सुनवाई हो रही है कि कंपनी पर किसका नियंत्रण होना चाहिए। लेंडर्स का दावा है कि इस साल की शुरुआत में कंपनी डिफॉल्ट कर गई है तो उसे अपने प्रतिनिधि Timothy R Pohl को इसकी कमान देने का अधिकार है। हालांकि सुनवाई के दौरान बायजूज अल्फा पर 50 करोड़ डॉलर (4138.23 करोड़ रुपये) छिपाने का आरोप सामने आया है।
यह मुकदमा ग्लास ट्रस्ट कंपनी और निवेशक टिमोथी आर पॉल (Timothy R Pohl) ने बायजूज अल्फा, इसके डायरेक्टर रिजू रवींद्रन और टैंजिबल प्ले इंक के खिलाफ किया है। बायजूज अल्फा और टैंबिजबल प्ले, दोनों ही बायजूज की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड का हिस्सा हैं। यह पूरा मामला 120 करोड़ डॉलर (9932.69 करोड़ रुपये) के लोन से जुड़ा है।
क्या है दोनों पक्षों का दावा
टिमोथी के एक वकील के मुताबिक बायजूज अल्फा के एक टॉप मैनेजर ने कंपनी से करीब 50 करोड़ डॉलर बाहर ले जाना स्वीकार किया है। बायजूज अल्फा के वकील ने इस पर अपना पक्ष पेश किया कि कंपनी इन पैसों को लेंडर्स से बचाने की कोशिश कर रही थी और लोन एग्रीमेंट के तहत उसके पास इन पैसों को कहीं भेजने का अधिकार था। कोर्ट ने अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं सुनाया है कि पैसों को कंपनी से बाहर भेजा जाना सही था या गलत। हालांकि बायजूज अल्फा के मैनेजर्स को कंपनी में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं करने का आदेश दिया है। जज ने इस साल के आखिरी तक एक ट्रायल शेड्यूल कर दिया है जिसमें फैसला होगा कि बायजूज के अल्फा पर किसका नियंत्रण होगा।
भारत में Byju’s के ऑफिस पर ED ने मारे छापे
बायजूज की दिक्कतें सिर्फ अमेरिका में ही नहीं बल्कि भारत में भी हैं। बायजूज पिछले साल की शुरुआत में अमेरिका में लिस्ट होने की तैयारी कर रही थी और साल बीतते-बीतते यह फर्श पर आ गई। अकाउंटिंग से जुड़े अनियमितताएं, गलत कोर्सेज बेचने और बड़े पैमाने पर छंटनी के चलते यह निगेटिव रूप से खबरों में रही। इस साल की बात करें तो स्थिति सुधरी नहीं है और यह अभी भी जूझ रही है। पिछले महीने तो केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने इसके तीन ठिकानों पर छापा भी मारा था। ईडी ने विदेशों में भेजे गए 9754 करोड़ रुपये से जुड़ी जांच में यह छापा मारा था।