सोडा ब्रांड लाहौरी जीरा (Lahori Zeera) अपनी ग्रोथ के लिए बिसलेरी की राह पर चलने की सोच रहा है। कंपनी चाहती है कि उसका सोडा ज्यादा से ज्यादा खुदरा दुकानों में और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। लेकिन साथ ही वह खुद के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बढ़ाने के लिए मोटा निवेश करने की तैयारी नहीं कर रही है, बल्कि इसकी जगह मैन्युफैक्चरिंग आउटसोर्स करने की सोच रही है। इसका मतलब है कि किसी और से मैन्युफैक्चरिंग या पैकेजिंग और डिस्ट्रीब्यूटिंग कराना यानि कि को-बॉटलर्स।
बिसलेरी वाली अप्रोच क्या है? दरअसल बिसलेरी की सफलता में इसकी हाइपरलोकल प्रेजेंस का बहुत बड़ा हाथ है। यह छोटी से लेकर बड़ी तक लगभग हर दुकान में उपलब्ध कराई गई। इसकी सफलता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कई जगहों पर लोगों के लिए बोतलबंद पानी का दूसरा नाम ही बिसलेरी है। लेकिन उसने विस्तार को-बॉटलर्स के जरिए किया।
अब तक 4 को-बॉटलर्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट: लाहौरी जीरा के को-फाउंडर निखिल डोडा
लाहौरी जीरा के को-फाउंडर निखिल डोडा ने मनीकंट्रोल को एक इंटरव्यू में कहा, 'बिसलेरी की भारत में हर 200 किलोमीटर पर एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है। उनका विस्तार इसी तरह का है और वे अलग-अलग को-बॉटलर्स के साथ काम करते हैं। हम इसी मॉडल पर चलेंगे। हमारा इरादा लगभग हर राज्य में स्थानीय मौजूदगी बनाने और एक लोकल प्लांट स्थापित करने का है। हमने अब तक 4 को-बॉटलर्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है और अगले दो साल में हम 20 के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने का प्लान कर रहे हैं।"
सोडा ब्रांड लाहौरी जीरा का वित्त वर्ष 2024-25 में रेवेन्यू 535 करोड़ रुपये रहा। कंपनी ने बढ़ते कॉम्पिटीशन के बीच वित्त वर्ष 2026 तक 800 करोड़ रुपये के रेवेन्यू को क्रॉस करने का लक्ष्य रखा है। लाहौरी जीरा को हाल ही में मोतीलाल ओसवाल वेल्थ से 200 करोड़ रुपये की प्राइमरी फंडिंग मिली है। अब इसकी वैल्यूएशन तीन गुना बढ़कर 2,800 करोड़ रुपये हो गई है।
को-बॉटलिंग मॉडल से ग्रोथ कहीं अधिक तेजी से हो सकती है
डोडा ने आगे कहा, "को-बॉटलर सिर्फ कनवर्जन करते हैं। कच्चा माल हमारा होता है। प्रोडक्ट हम बेचते हैं। इस रास्ते के जरिए अब एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने में पूंजी लगाने की जरूरत नहीं होगी और हम एक ही समय में कई प्लांट स्थापित कर सकते हैं। ग्रोथ कहीं अधिक तेजी से हो सकती है।" लाहौरी मुख्य रूप से जनरल ट्रेड के जरिए डिस्ट्रीब्यूशन करती है। इसकी बिक्री उत्तर भारत में सबसे ज्यादा है।