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कल्पेश मेहता: भारत में ट्रंप ब्रांड को लेकर आने वाली शख्सियत, काफी पहले भांप लिया था देश में लग्जरी रियल एस्टेट का स्कोप

जब ट्रिबेका भारत में पहले ट्रंप-ब्रांडेड प्रोजेक्ट लाई, तो रियल एस्टेट साइकिल में गिरावट आ रही थी, लग्जरी बिक्री सुस्त थी और कई लोगों का मानना ​​था कि अल्ट्रा-प्रीमियम डेवलपमेंट्स के लिए कोई बाजार नहीं है। लेकिन मेहता का मानना ​​इससे अलग था। उन्होंने अपना भरोसा बनाए रखा

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Mar 24, 2025 पर 6:53 PM
कल्पेश मेहता: भारत में ट्रंप ब्रांड को लेकर आने वाली शख्सियत, काफी पहले भांप लिया था देश में लग्जरी रियल एस्टेट का स्कोप
भारत में ट्रंप ब्रांड को लेकर आने वाली कंपनी ट्रिबेका डेवलपर्स है।

हाल ही में खबर आई कि रियल एस्टेट कंपनी ट्रिबेका डेवलपर्स ने पुणे में 2,500 करोड़ रुपये के कमर्शियल प्रोजेक्ट ‘ट्रंप वर्ल्ड सेंटर’ के विकास के लिए कुंदन स्पेसेज के साथ साझेदारी की है। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ी कंपनी ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन भारतीय कमर्शियल स्पेस में कदम रखने जा रही है। करीब 4.3 एकड़ में बनने वाले इस प्रोजेक्ट के तहत 16 लाख वर्ग फुट क्षेत्र का विकास होगा। इससे 2,500 करोड़ रुपये का सेल्स रेवेन्यू जनरेट होने का अनुमान है। ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन भारत में रेजिडेंशियल सेक्टर में पहले से है। देश में मुंबई और पुणे में दो ट्रंप ब्रांडेड रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट कंप्लीट हो चुके हैं, कोलकाता और गुरुग्राम में 2 रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट अंडर कंस्ट्रक्शन हैं और पुणे में नए ट्रंप वर्ल्ड सेंटर प्रोजेक्ट की घोषणा हुई है।

भारत में ट्रंप ब्रांड को लेकर आने वाली कंपनी ट्रिबेका डेवलपर्स है। इसके को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर कल्पेश मेहता की भारत के रियल एस्टेट मार्केट को लेकर अप्रोच एक बार फिर चर्चा में है। ऐसे बाजार में जहां ज्यादातर डेवलपर्स स्केल और वॉल्यूम का पीछा करते हैं, कल्पेश मेहता ने एक अलग रास्ता अपनाया। एक दशक से भी अधिक समय पहले, जब लग्जरी रियल एस्टेट भारत में पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब उन्होंने हाई-एंड, ब्रांडेड आवासों पर दांव लगाया। मेहता ने प्रीमियम प्रोजेक्ट्स और ब्रांड लाइसेंसिंग पर फोकस्ड बिजनेस बनाया और देश में ट्रंप टॉवर्स की शुरुआत की।

मेहता का मानना है कि यह केवल एक मिथक है कि लग्जरी रियल एस्टेट नहीं बिकता। भारत में हाई क्वालिटी वाले रियल एस्टेट की भारी कमी है। समस्या यह है कि लोग ऊंची-ऊंची इमारतें बनाकर उन्हें लग्जरी कह रहे हैं, ज​बकि यह लग्जरी नहीं है।

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