SEBI in Action: नए दौर की कंपनियों (New-Age Companies) को IPO लाने के लिए कड़े प्रावधानों का पालन करना पड़ सकता है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड से जुड़े नियम भी सख्त हो सकते हैं। बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) नए दौर की कंपनियों के आईपीओ की डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट्स को बढ़ाने की योजना बना रही है।
इसके अलावा सेबी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की खरीद-बिक्री को इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियमों के तहत ला सकती है। इन सब पर फैसला सेबी की 30 सितंबर को होने वाली बोर्ड बैठक में होगा। यह जानकारी आज 23 सितंबर को बिजनेस स्टैंडर्ड ने सूत्रों के हवाले से दी है।
IPO लाने के लिए क्या हो सकती है सख्ती
सेबी कंपनियों के लिए इसका खुलासा करना अनिवार्य कर सकती है कि आईपीओ के तहत शेयरों का प्राइस कैसे तय हुआ है। आईपीओ से पहले की शेयरों के भाव से इसकी तुलना और निवेशकों को दिए गए प्रेजेंटेशन का भी खुलासा करना पड़ सकता है। इसके अलावा कंपनियों को अपने ऑफर डॉक्यूमेंट्स में प्रमुख परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स (KPIs) की भी जानकारी देने के लिए कहा जा सकता है। हाल ही में देश के व्यापारिक संगठनों के संघ FICCI के एक समारोह में सेबी प्रमुख माधाबी पुरी बच (Madhabi Puri Buch) ने कहा कि सेबी F&O सेग्मेंट में रिटेल एंट्री को रोकना नहीं चाहती है लेकिन इसमें सौदों से जुड़े खुलासे को लागू करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि शेयरों की कीमत क्या तय की गई है, इससे सेबी का कोई लेना देना नहीं है लेकिन यह क्यों है, इसे बताना होगा। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि अगर आईपीओ लाने से छह महीने पहले किसी कंपनी के शेयर 100 रुपये में थे लेकिन आईपीओ में प्राइस 450 रुपये रखी गई है तो सेबी को इससे कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि सेबी चाहती है कि कंपनी इस अंतर को लेकर खुलासा करे कि इतने समय में क्या बदल गया जो इतना अधिक भाव तय हुआ।
Mutual Fund को लेकर भी सेबी सख्त
सेबी म्यूचुअल फंड के लेन-देन से जुड़े नियमों को भी सख्त करने की तैयारी में है। सेबी म्यूचुअल फंड यूनिट्स को सिक्योरिटीज की परिभाषा के तहत ला सकती है। इससे इस पर भी प्रॉहिबिशन ऑफ इनसाइडर ट्रेडिंग (PTI) रेगुलेशंस भी लागू हो जाएगा। हालांकि मनीकंट्रोल इस की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।