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FamApp News: अपनी ही कंपनी से बाहर होंगे कुश तनेजा, छह साल पहले शुरू की थी फिनटेक स्टार्टअप

FamApp News: करीब छह साल पहले वर्ष 2019 में जिस फिनटेक स्टार्टअप को शुरू किया था, अब उसी को-फाउंडर कुश तनेजा निकलने वाले हैं। कुश तनेजा फैमएप में अपनी पूरी की पूरी हिस्सेदारी बेच रहे हैं। जानिए कि दूसरे को-फाउंडर की क्या योजना है और कुश तनेजा की जगह किसे मिलेगी? चेक करें कंपनी के बारे में डिटेल से

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Jun 16, 2025 पर 12:26 PM
FamApp News: अपनी ही कंपनी से बाहर होंगे कुश तनेजा, छह साल पहले शुरू की थी फिनटेक स्टार्टअप
FamApp News: फिनटेक स्टार्टअप फैमऐप के को-फाउंडर कुश तनेजा कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रहे हैं।

FamApp News: फिनटेक स्टार्टअप फैमऐप के को-फाउंडर कुश तनेजा कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रहे हैं। मनीकंट्रोल को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। कुश तनेजा ने वर्ष 2019 में संभव जैन के साथ मिलकर कंपनी कंपनी शुरू की थी और अब उन्होंने सेकंडरी ट्रांजैक्शंस के जरिए अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। उनके शेयर नए और पुराने, कोई भी निवेशक खरीद सकते हैं। दूसरे को-फाउंडर संभव जैन की बात करें तो फिलहाल कंपनी की कमान उन्हीं के पास बनी रहेगी लेकिन यह नहीं स्पष्ट है कि कुश तनेजा की जगह किसी नए सीनियर एग्जीक्यूटिव को रखा जाएगा या नहीं।

दो साल में FamApp में हुआ बड़ा बदलाव

फैमऐप के को-फाउंडर कुश तनेजा ऐसे समय में अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं, जब पैरेंटल कंट्रोल और प्रीपेड कार्ड ऑफर करने वाली फिनटेक कंपनी में पिछले दो साल में बड़े रणनीतिक बदलाव हुए हैं। कंपनी ने अब खुद को मुख्यधारा के पेमेंट्स प्लेटफॉर्म के रूप में दोबारा स्थापित किया है, और इस साल की शुरुआत में Tri O Tech के तहत नई पहचान बनी। हालांकि खास बात ये है कि ये बदलाव पूरी तरह से अपनी मर्जी से नहीं थे। शुरुआती बैंकिंग साझेदारी के ध्वस्त होने के चलते कंपनी को वर्ष 2023 की शुरुआत में अपने बैकेंड इंफ्रा को फिर से बनाने के लिए बाध्य होना पड़ा।

पहले यह स्टार्टअप कार्ड डारे करने और वालेट इंफ्रा को लेकर IDFC First Bank के साझेदार के तौर पर निर्भर थी लेकिन यह बैंक ने अपनी सर्विसेज बंद कर दी तो एकाएक फैमऐप के हजारों यूजर्स की सर्विसेज ठप पड़ गईं। ऐसे में कंपनी ने अपना काम Tri O Tech में शिफ्ट कर दिया जिसे कंपनी ने पहले ही खरीदा हुआ था और इसके पास प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट (PPI) लाइसेंस था। इससे कंपनी को वालेट सर्विसेज फिर से शुरू करने में मदद मिली लेकिन इसने यूजर्स की उलझन बढ़ा दी और सर्विसेज में रुकावट भी आने लगी और ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ने लगा।

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