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फंडिंग की कमी से जूझ रहीं स्टार्टअप्स पर दोहरी मार, ₹100 करोड़ से ज्यादा निवेश जुटाने वाली कंपनियों को इनकम टैक्स का नोटिस

Income Tax Notice: आयकर विभाग ने तगड़ा निवेश हासिल करने वाले स्टार्टअप्स को रडार पर लेना शुरू कर दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ स्टार्टअप्स को नोटिस भेज दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 100 करोड़ डॉलर से अधिक वैल्यू वाले यूनिकॉर्न्स को ये नोटिस भेज रही है। विभाग ने ये नोटिस इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 68 के तहत भेजे हैं

अपडेटेड May 30, 2023 पर 12:40 PM
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आयकर विभाग ने जो नोटिस भेजे हैं, उसमें से कुछ में विदेशी निवेशकों की लोकल होल्डिंग्स, तय वैल्यूएशन और निवेशकों से हासिल किए लोन के मकसद से जुड़ी जानकारियां मांगी गई है।

Income Tax Notice: आयकर विभाग ने तगड़ा निवेश हासिल करने वाले स्टार्टअप्स को रडार पर लेना शुरू कर दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ स्टार्टअप्स को नोटिस भेज दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 100 करोड़ डॉलर से अधिक वैल्यू वाले यूनिकॉर्न्स को ये नोटिस भेज रही है। इनसे वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2021 के बीच बेहिसाब निवेश की प्रकृति और स्रोत के बारे में जानकारी मांगी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 100 करोड़ रुपये या इससे अधिक के हर एक निवेश की जांच हो रही है। हालांकि कुल कितने निवेश को लेकर नोटिस भेजा गया है, इसका खुलासा नहीं हुआ।

स्टार्टअप्स से मांगी गई है जानकारियां

आयकर विभाग ने जो नोटिस भेजे हैं, उसमें से कुछ में विदेशी निवेशकों की लोकल होल्डिंग्स, तय वैल्यूएशन और निवेशकों से हासिल किए लोन के मकसद से जुड़ी जानकारियां मांगी गई है। फाइनेंशियल डेली ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि इनकम टैक्स ने फंड के राउंड ट्रिपिंग के बढ़ते चलन को देखते हुए स्टार्टअप्स से उन्हें मिले बेहिसाब निवेश से जुड़ी पूरी डिटेल्स मांगी है।


बता दें कि राउंड ट्रिपिंग की वजह से ही एंजेल टैक्स से जुड़े प्रावधानों को एनआरआई पर भी लागू किया गया है। एंजेल टैक्स की निगेटिव लिस्ट भी तैयार की गई है। वहीं सोवरेन वेल्थ फंड्स, पेंशन फंड्स और सेबी के पास रजिस्टर्ड पोर्टफोलियो निवेशकों को एंजेल टैक्स के प्रावधानों से छूट है क्योंकि ये विनियमित संस्थाएं हैं।

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किस एक्ट के तहत भेजे गए हैं नोटिस

विभाग ने ये नोटिस इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 68 के तहत भेजे हैं। इस एक्ट के तहत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स के बुक्स के ऐसे फंड के बारे में जानकारी मांगता है जिसके बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है और जिनके स्रोत का खुलासा नहीं होता है। इस प्रावधान का इस्तेमाल हिस्सेदारी से जुड़ी पूरी डिटेल्स हासिल करने के लिए किया जाता है।

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