छंटनी की बजाय यह नीति अपनाई Zoho ने, अब तमिलनाडु के बाहर विस्तार की योजना, उत्तर प्रदेश में यहां होगी एंट्री

कठिन मैक्रोइकनॉमिक परिस्थितियों में भारत समेत दुनिया भर में आईटी कंपनियों में छंटनी का दबाव दिख रहा है। हालांकि जोहो (Zoho) के को-फाउंडर और सीईओ श्रीधर वेंबू ने अपनी कंपनी में छंटनी की बजाय दूसरी नीति अपनाई। अब यह अपने कारोबारी मॉडल को तमिलनाडु के दूसरे जिलों में ले जा रही है। इसके अलावा यह उत्तर प्रदेश में भी फैसिलिटी स्थापित करने पर काम कर रही है

अपडेटेड Apr 05, 2023 पर 9:35 AM
Story continues below Advertisement
Zoho तेन्कासी में काम कर रही है और 10 साल पहले के मुकाबले यहां की इकनॉमिक परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है।

कठिन मैक्रोइकनॉमिक परिस्थितियों में भारत समेत दुनिया भर में आईटी कंपनियों में छंटनी का दबाव दिख रहा है। कई कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। हालांकि जोहो (Zoho) के को-फाउंडर और सीईओ श्रीधर वेंबू ने अपनी कंपनी में छंटनी की बजाय मुनाफे के मार्जिन में कटौती की नीति अपनाई है। कंपनी अपने तेन्कासी रूरल टेक हब का विस्तार कर रही है और तमिलनाडु के बाकी हिस्सों में भी अपने मॉडल को ले जा रही है। इसके अलावा यह उत्तर प्रदेश में भी फैसिलिटी स्थापित करने पर काम कर रही है। वहीं आईपीओ को लेकर कंपनी का कहना है कि ऐसी कोई योजना नहीं है। मनीकंट्रोल ने श्रीधर वेंबू से कई मुद्दों पर बातचीत की जिसके बारे में नीचे दिया जा रहा है।

क्या है Zoho का Tenkasi मॉडल और क्या है कंपनी की योजना

तेन्कासी मॉडल का मतलब गांवों में टेक हक स्थापित करना है। वेंबू के मुताबिक अगर बढ़िया लीडरशिप मिल जाए तो यह बहुत शानदार मॉडल है। अब कंपनी का लक्ष्य इस मॉडल को देश के सभी जिलों में लागू करना है। तेन्कासी में मौजूद फैसिलिटी की बात करें तो अभी यहां 800 लोग काम करते हैं और अब इसमें 1000 लोगों के हायरिंग की योजना बन रही है। इस प्रकार अगले तीन से चार साल में यहां 2 हजार से अधिक लोग काम करने लगेंगे।


हब के साथ चार ब्रांच जुड़े हैं जिन्हें हब से सेंट्रलाइज्ड सर्विस मिलती है। अब अगर किसी ब्रांच में नेटवर्क डाउन है तो हब ऑफिस इस दिक्कत को सुलझाता है। इस प्रकार जोहो ऐसी सर्विसेज मुहैया कराती है जो बड़े हब ऑफिस प्रोवाइड करते हैं। अब इसी मॉडल को तमिलनाडु के बाकी जिलों और उत्तर भारत के जिलों में ले जाने की कंपनी की योजना है।

सीईओ Sridhar Vembu ने कहा, "Zoho में अधिकतर नौकरियों के लिए कर्मचारियों को अंग्रेजी आना जरूरी नहीं"

जोहो के आने से स्थानीय इकोसिस्टम में क्या बदलाव

जोहो तेन्कासी में काम कर रही है और 10 साल पहले के मुकाबले यहां की इकनॉमिक परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। इस बदलाव को समझने के लिए वेंबू ने तंजावुर और तेन्कासी का उदाहरण दिया। तंजावुर और तेन्कासी, दोनों ही एक जैसे हैं और यहां बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। जोहो ने तेन्कासी में अपना कारोबार शुरू किया और अब तंजावुर से यह कितना आगे निकल चुका है, यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है।

नॉर्थ को लेकर क्या है योजना

कुछ महीने पहले वेंबू ने केंद्रीय और पूर्वी उत्तर प्रदेश की यात्रा की और यहां उन्होंने देखा कि यहां कोई जोहो के कॉम्पटीशन में नहीं है यानी कि इसके लिए अच्छा कारोबारी मौका है। अब जोहो की योजना यहां स्कूलों से बच्चे लेकर उन्हें प्रशिक्षित करने की है। इस प्रकार कंपनी अपनी यहां शुरूआत करेगी। हालांकि अभी उत्तर प्रदेश में कंपनी अपना कारोबार कहां शुरू करेगी, इसे लेकर अंतिम रूप से कुछ तय नहीं हुआ है। इसके तय होने के बाद ही आगे की योजना बनेगी। इसमें 3-5 साल का समय लग सकता है।

ZestMoney के साथ क्यों टूटी PhonePe की डील? सीईओ समीर निगम ने कहा, 'जांच-पड़ताल के मानक नहीं हुए पूरे'

मदुरै में भी कंपनी कर रही विस्तार

जोहो तमिलनाडु में भी एक नया हब तैयार कर रही है। मदुरै एयरपोर्ट और मदुरै के समीप गांव में कपालुर में एक 35 एकड़ कैंपस बनाया जा रहा है। यह हब से जुड़े छोटे ब्रांच शुरू करेगी। इसे तेन्कासी फैसिलिटी की तरह विकसित किया जाएगा। इसमें तत्काल 250-400 एंप्लॉयीज की भर्ती होगी और फिर लॉन्ग टर्म में यहां 1000 को काम पर रखा जाएगा। इसी प्रकार के हब अब तिरुनेलवेली में तरुवाई में बनाए जाएंगे।

1K Kirana Layoff : 40% कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी, 600 से ज्यादा लोगों की जा सकती है जॉब

सॉफ्टवेयर कंपनियों कैसे निपट सकती हैं मौजूदा दौर में

अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने के बाद आईटी सेक्टर में स्थिति और गड़बड़ हो गई। वेंबू के मुताबिक बैंकों की स्थिति एक दिन में नहीं खराब हुई बल्कि केंद्रीय बैंकों की पहले इंटेरेस्ट रेट को फर्श पर लाने और फिर महंगाई को रोकने के लिए इसे फटाफट ऊपर ले जाने की नीति के चलते दबाव बढ़ा है। वेंबू के मुताबिक इसका झटका अभी और बैंकों को लग सकता है।

हालांकि भारतीय बैंकों को लेकर उनका कहना है कि ये मजबूत स्थिति में हैं क्योंकि सरकारी नियम-कानून सख्त हैं। सॉफ्टवेयर कंपनियों में सुस्ती को लेकर वेंबू का कहना है कि फिलहाल अच्छी कंपनियां कैशफ्लो पॉजिटिव रखना चाहेंगी और मार्केटिंग जैसे अपने गैर-जरूरी खर्च को कम करेगी। जोहो की बात करें तो इसने छंटनी की बजाय प्रॉफिट मार्जिन कम करने की स्ट्रैटजी अपनाई है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।