5G Rollout: अगली पीढ़ी के टेलिकॉम सिस्टम 5G को लागू करने में जितने इक्विपमेंट का इस्तेमाल होता है, उसका करीब 80 फीसदी भारत में ही बन जा रहा है। यह दावा शुक्रवार 27 अक्टूबर को इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी अश्विनी वैष्णव ने किया। उन्होंने कहा कि भारत 5जी के लिए जरूरी इक्विपमेंट्स का 80 फीसदी यहीं बना ही नहीं रहा है बल्कि यहां डिजाइन कर बनी हुई चीजें 72 देशों को निर्यात भी हो रही हैं। उन्होंने ये बातें प्रगति मैदान में आयोजित इंडियन मोबाइल कांग्रेस से इतर कही। उन्होंने कि देश की कई कंपनियां डिजाइनिंग और मैनुफैक्चरिंग कर रही हैं और इन्हें निर्यात भी कर रही हैं। क्वालिटी को लेकर उन्होंने कहा कि देशी कंपनियां दुनिया के बेस्ट मैनुफैक्चरर्स के टक्कर का माल तैयार कर रही हैं।
चिप इंडस्ट्री में तेजी से आगे बढ़ रहा भारत
केंद्रीय मंत्री ने चिप इंडस्ट्री को लेकर भी काफी दावे किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यहां बड़ी संख्या में पेशेवर हैं जिसके दम पर भारत चिप बनाने का हब बन सकता है। उन्होंने अपनी मिनिस्ट्री की एक इनटर्नल स्टडी का हवाला देते हुए कुछ कॉम्प्लेक्स चिप भी देश में अब बनाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पहले भारतीय सेमीकंडक्टर चिप) इकोसिस्टम में 50 हजार के टैलेंट पूल का अनुमान था लेकिन जब सर्वे हुआ तो पता चला कि करीब 1.20 लाख इंजीनियर्स चिप डिजाइन कर रहे हैं।
डेटा प्रोटेक्शन बिल को लेकर सरकार सख्त
केंद्र सरकार ने अगस्त में संसद में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) पास किया था लेकिन अभी यह लागू नहीं हो पाया है। इंडस्ट्री न सिर्फ इस पर विमर्श के लिए नियमों के सामने आने का इंतजार कर रही है बल्कि सरकार से अनुरोध भी कर रही है कि इस बिल को लागू करने की मियाद आगे बढ़ाई जाए। 26 अक्टूबर को एशिया इंटरनेट कोएलिशन ने सरकार से इस एक्ट के खास क्लॉज यानी उपनियमों को 12-18 महीने में लागू करने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि इसमें अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चरल बदलावों की जरूरत पडे़गी।
हालांकि अब केंद्रीय मंत्री अश्विनी ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार का इरादा टाइमलाइन को आगे बढ़ाने की नहीं है। उनका सीधे कहना है कि डेटा प्रोटेक्शन के लिए इतने अधिक समय की जरूरत क्यों है जबकि सिंगापुर के GDPR, सिंगापुर डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पहले ही लागू हो चुके हैं और पूरी इंडस्ट्री पहले ही इससे जुड़ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही DPDP Act के नियम तैयार हो चुके हैं और जल्द ही इसे विचार-विमर्श के लिए जारी कर दिया जाएगा। अभी इस एक्ट में एक ऐसा प्रावधान है जिसके तहत सरकार कुछ कंपनियों को एक ऐसी लिस्ट में रखेगी जहां डेटा ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।