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Vedanta रिजर्व से बैलेंस शीट में ट्रांसफर कर सकेगी पैसे, शेयरधारकों की मिली मंजूरी

दिग्गज एमएनसी माइनिंग कंपनी वेदांता (Vedanta) अब अपने रिजर्व से पैसे निकालकर बैलेंस शीट में डाल सकेगी

अपडेटेड Oct 12, 2022 पर 8:25 PM
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कैश रिजर्व से बैलेंस शीट में पैसे ट्रांसफर करने का कदम वेदांता से पहले भी उठाया जा चुका है।

दिग्गज एमएनसी माइनिंग कंपनी वेदांता (Vedanta) अब अपने रिजर्व से पैसे निकालकर बैलेंस शीट में डाल सकेगी। अरबपति अनिल अग्रवाल की वेदांता के शेयरधारकों ने 11 अक्टूबर को इसके लिए मंजूरी दे दी। कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में इसकी जानकारी दी। रेगुलेटरी फाइलिंग को दी गई जानकारी के मुताबिक 100 फीसदी प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप शेयरहोल्डर्स और पब्लिक इंस्टीट्यूशंस ने कैश रिजर्व को बैलेंस शीट में डालने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इन पैसों का इस्तेमाल कंपनी शेयरधारकों को डिविडेंड देने में करेगी।

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वेदांता ने इसलिए तैयार की पूरी योजना


कंपनी ने जनरल रिजर्व से 12587 करोड़ रुपये निकालकर कैपिटल को फिर से ऑर्गेनाइज करने और ट्रांसफर करने का प्रस्ताव रखा था। वेदांता ने शेयरधारकों से कहा था कि लगातार प्रॉफिट को रिजर्व में ट्रांसफर कर बड़ी रकम इकट्ठी हो गई है जो कंपनी के ऑपरेशनल और कारोबारी जरूरतों की तुलना में बहुत अधिक हैं। ऐसे में कंपनी ने प्रस्ताव दिया था कि इस अधिक पैसे को शेयरधारकों की वैल्यू बढ़ाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूनिट से मिला डिविडेंड लंदन स्थित पैरेंट के लिए कर्ज चुकाने के लिए प्रमुख स्रोत बन चुका है। शेयरधारकों से मंजूरी मिलने के बाद अब वेदांता अगले साल 2023 में ड्यू 90 लाख डॉलर के ड्यू के कुछ हिस्से के लिए टेंडर ऑफर निकाल सकेगी जो डॉलर पर 94 सेंट्स के भाव पर ट्रेड हो रहा है।

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रिजर्व से पैसे ट्रांसफर की यह कवायद पहली बार नहीं

कैश रिजर्व से बैलेंस शीट में पैसे ट्रांसफर करने का कदम पहले भी उठाया जा चुका है। इससे पहले हिंदुस्तान यूनीलीवर (Hindustan Unilever- HUL) ने वर्ष 2018 में भी ऐसा किया था। एचयूएल ने 1 अप्रैल 2015 को जनरल रिजर्व में पड़े पूरे पैसों को प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट में ट्रांसफर किया था। इस प्रक्रिया में 2187 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे।

जनरल रिजर्व से प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट में बैलेंस ट्रांसफर का नियम पहले नहीं था। कंपनीज एक्ट, 2013 में इससे जुड़ा प्रावधान किया गया था। इससे पहले कंपनियों को मुनाफे का एक निश्चित फीसदी हिस्सा डिविडेंड के ऐलान से पहले जनरल रिजर्व में ट्रांसफर करना पड़ता था।

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