ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) के करीब 613 करोड़ या 78 फीसदी शेयरों का लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period) अगले हफ्ते खत्म होने वाला है। एनालिस्ट्स का अनुमान है कि इसके चलते जोमैटो के शेयरों (Zomato Shares) में अगले हफ्ते भारी बिकवाली का दबाव देखने को मिल सकता है।
प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न के फाउंडर और एमडी, श्रीराम सुब्रमण्यम ने बताया, "Zomato में कोई प्रमोटर नहीं है और सभी शेयरहोल्डर हैं। इसमें जोमैटो के फाउंडर भी शामिल हैं और इन सभी के पास Zomato की कुल 77.87 फीसदी हिस्सेदारी है। नियमों के मुताबिक इन शेयरों पर एक साल का लॉक-इन पीरियड था जो 23 जुलाई को खत्म हो रहा है। इसका मतलब है कि अब ये अपने मन से कभी भी शेयर बेच सकते हैं और इन्हें इसके लिए किसी तरह का डिस्कलोजर देने की जरूरत नहीं। इससे Zomato के शेयरों की कीमत में अगले हफ्ते एक बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।"
उन्होंने याद करते हुए बताया, 'यहां तक कि जब एंकर निवेशकों के लिए एक महीने का लॉक-इन पीरियड खत्म हुआ था, तब भी स्टॉक में एक दिन में 8 फीसदी की बड़ी गिरावट देखने को मिली थी।' इस बीच Zomato के शेयर शुक्रवार को एनएसई पर 0.28% फीसदी गिरकर 53.35 रुपये पर बंद हुए।
Zomato ने पिछले साल 23 जुलाई को शेयर बाजार में धांसू एंट्री की थी। कंपनी ने अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) 76 रुपये प्रति शेयर के भाव पर लॉन्च किया था, जो BSE पर 51 फीसदी से भी अधिक के प्रीमियम के साथ 115 रुपये पर लिस्ट हुए थे। आगे चलकर Zomato ने 1 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेशन के आंकड़े को पार कर लिया और इसके शेयर BSE पर 169 रुपये के अपने ऑलटाइम हाई स्तर तक गए।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी, जी चोक्कालिंगम ने बताया, "रिटेल निवेशकों ने के लिए यह देखना अहम है कि PE/VC निवेशकों ने किस कीमत पर कंपनी में निवेश किया है। अगर उनकी जोमैटो के शेयरों को खरीदने की लागत इसके मौजूदा बाजार भाव से थोड़ी भी कम है, तो वह इस मंदी के मूड में अपनी हिस्सेदारी बेच कर मुनाफा वसूली करने पर ध्यान देंगे।"
उन्होंने कहा, "कई निवेशकों के लिए जौमैटो के शेयरों के अधिग्रहण की लागत इसके मौजूदा बाजार भाव से काफी कम है और कंपनी के शुरुआती निवेशकों को इस स्तर पर भी अच्छा मुनाफा बनता दिख रहा है। ऐसे में मेरी राय है कि 23 जुलाई के बाद जोमैटो के शेयरों में गिरावट आने का काफी अधिक चॉन्स हैं।"
जोमैटो की सबसे शुरुआती निवेशकों में से एक इंफो-एज (Info Edge) है। संजीव बिखचंदानी की अगुआई वाली इस कंपनी ने जोमैटो के IPO में भी अपनी कुछ हिस्सेदारी बेची थी और उस वक्त उसे 357 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ था। हालांकि अभी भी उनकी इस कंपनी में 15.18 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत 6,330 करोड़ रुपये है।
जोमैटो के IPO डॉक्यूमेंट के मुताबिक, इंफो एज ने 1.16 रुपये की औसत लागत पर जौमैटो में निवेश किया था। हालांकि जोमैटो ने बाकी बड़े शेयरहोल्डर्स के औसत लागत के बारे में इस डॉक्यूमेंट में जानकारी नहीं दी थी। जोमैटो के अन्य शुरुआती निवेशकों में अलीपे (7.1%), एंट फाइनेंशियल (6.99%), टाइगर ग्लोबल (5.11%), सिकोइया कैपिटल (5.10%) और टीमसेक (3.11%) शामिल है।
जोमैटो के शेयरहोल्डर्स में इनके अलावा उबर (Uber) और डेलीवरी हीरो (Delivery Hero) भी शामिल है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को यह देखना चाहिए कि उबर और डेलीवरी हीरो अपने लॉक-इन पीरियड के खत्म होने का बाद क्या रुख अपनाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह दोनों कंपनियां ग्लोबल शेयर बाजारों में आई भारी बिकवाली के चलते दबाव में हैं और वह शायद जोमैटो में अपनी हिस्सेदारी को बेचने पर विचार कर सकती है। उबर के पास जहां जोमैटो की 7.78 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं फूडटेक कंपनी डेलीवरी हीरो के पास पास जोमैटो की 1.36 फीसदी हिस्सेदारी है।
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