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इजराइल-हमास की लड़ाई से क्रूड ऑयल की कीमतों में कितना उछाल आ सकता है?

शनिवार को इजराइल पर हमले के बाद से ऑयल की कीमत करीब 4 फीसदी उछल चुकी है। सोने और चांदी में करीब एक फीसदी की तेजी है। इक्विटी मार्केट्स में भी डर का माहौल है। यह स्वाभाविक है। इस बीच, OPEC ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि ऑयल का अतिरिक्त स्टॉक उपलब्ध है। उसने यह भी कहा है कि अगर दुनिया में ऑयल की कमी होती है तो OPEC रिजर्व का इस्तेमाल करेगा। इससे मार्केट की चिंता दूर होगी

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 10, 2023 पर 6:19 PM
इजराइल-हमास की लड़ाई से क्रूड ऑयल की कीमतों में कितना उछाल आ सकता है?
इजराइल और हमास की लड़ाई में नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इसमें ईरान की एंट्री होती है या नहीं। इतिहास बताता है कि गाजा और फिलिस्तीन इलाके में हुई लड़ाइयां लंबे समय तक जारी नहीं रही हैं। इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि यह रूस-यूक्रेन की तरह लंबे समय तक जारी नहीं रहेंगी।

ऑयल की कीमतों का अंदाजा लगाना मुश्किल है। एनालिस्ट्स का मानना है कि ऑयल की कीमतों पर कई चीजों का असर पड़ता है। इनमें डिमांड और सप्लाई की स्थिति, जियोपॉलिटिक्स, स्पेकुलेशन और टेरर शामिल हैं। अगर मार्केट साइज की बात करें तो फॉरेक्स यानी फॉरेक्स एक्सचेंज का मार्केट दुनिया में सबसे बड़ा है। उसके बाद कमोडिटी मार्केट का नंबर आता है। बॉन्ड्स मार्केट तीसरे पायदान पर है। अंतिम पायदान पर इक्विटी मार्केट्स है। ये सभी मार्केट्स आपस में कनेक्टेड हैं। एक मार्केट दूसरे मार्केट पर असर डालता है। इनवेस्टर्स इन मार्केट्स में मुनाफा कमाने के मौकों की तलाश में रहते हैं। ऐसे में हमारे लिए यह समझना और अंदाजा लगाना जरूरी हो जाता है कि किस एसेट क्लास में कीमतें चढ़ने या उतरने वाली हैं। इसलिए एक इनवेस्टर्स के लिए फाइनेंशियल मार्केट्स पर हर समय करीबी नजर रखना जरूरी है।

महंगे क्रूड का असर इनफ्लेशन से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक पर

इजरायल में हिंसा की शुरुआत 1973 में हुए योम किपुर (Yom Kippur) युद्ध की 50वीं वर्षगांठ के दिन शुरू हुई। हमास के हमलों में हुए नुकसान के साथ ही इस बात पर माथापच्ची हो रही है कि ऑयल की कीमतों का रुख क्या रहेगा। दरअसल, ऑयल की कीमतों का असर इनफ्लेशन, मैन्युफैक्चरिंग और यहां तक कि फूड प्राइसेज पर पड़ता है। हमास का दावा है कि उसे ईरान का समर्थन हासिल है। उधर, ईरान ने इससे इनकार किया है। लेकिन, इसमें संदेह नहीं कि ईरान हमास का समर्थन करता है। इधर, इजराइल के प्रधानमंत्री और लिकुड पार्टी के प्रमुख बेंजामिन नेतन्याहू को ईरान का धुर विरोधी माना जाता है।

ईरान का रुख तय करेगा लड़ाई की दिशा

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