तेल और महंगा हो सकता है? कच्चे तेल के उत्पादक देशों के संगठन OPEC+ ने सप्लाई में कटौती के फैसले को और आगे खिसका दिया है। इसके चलते अब वैश्विक मार्केट में तेल की सप्लाई पर असर पड़ने के आसार हैं जिससे तेल के भाव में आग लग सकती है। दो दिनों की मामूली गिरावट के बाद वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट फ्यूचर्स 82 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ गया तो ब्रेंट क्रूड भी 86 डॉलर से ऊपर चला गया। इस साल 2024 में अब तक अमेरिकी क्रूड बेंचमार्क में 14% की बढ़ोतरी हुई है। तेल उत्पादक देशों के समूह ने उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल की कटौती के फैसले को जून तक बढ़ा दिया है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर तेल के भंडार में गिरावट आ सकती है।
इन वजहों से कच्चे तेल में आई तेजी
कच्चे तेल में इस तिमाही में कई वजहों से तेजी आई। रुस के एनर्जी इंफ्रा पर यूक्रेन के ड्रोन हमले, मिडिल ईस्ट में बढ़ते जियोपॉलिटिकल टेंशन और भारत समेत अन्य एशियाई देशों में बढ़ती मांग के चलते कच्चे तेल में आग लगी और इस तिमाही भाव मजबूत रहे। हालांकि वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में क्रूड और गैसोलिन के स्टॉक ने कुछ हद तक इसकी कीमतों को नरम करने की कोशिश की। इसके अलावा ओपेक+ के बाहर के देशों से सप्लाई ने भी इनके भाव में नरमी लाई।
कच्चा तेल होगा $100 के पार?
कच्चे तेल के भाव को जिन वजहों से सपोर्ट मिल रहा है, उससे आसार लगाए जा रहे हैं कि यह 100 डॉलर के पार पहुंच सकता है। कुछ बैंकों ने इसे लेकर आगाह भी कर दिया है। उनका कहना है कि दुनिया भर में किस तरह से घटनाएं घटित होती हैं, उस पर नजर रखने की जरूरत है। जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी ने इस हफ्ते अनुमान लगाया कि अगर रुस ने प्रोडक्शन में जो कटौती की है, बाकी देश उसकी भरपाई नहीं कर पाते हैं तो सितंबर तक यह 100 डॉलर के भी पार पहुंच सकता है।