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पूरे भारत को समय बताने वाली HMT अपने ही वक्त से मात खा गई, कभी पंडित नेहरू ने किया था लॉन्च, अब लगा ताला

एचएमटी ने घड़ियों के मॉडल के नाम ऐसे रखे थे, जो लोगों को भावनात्मक रिश्तों की डोर से बांध लेते थे। जनता, तरुण, नूतन, प्रिया, निशात और कोहिनूर। ये ऐसे नाम थे, जो लोगों की जुबान पर रहते थे, क्योंकि ये लोगों के घर-परिवार या पास-पड़ोस के हिस्सा होते थे

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 29, 2022 पर 1:01 PM
पूरे भारत को समय बताने वाली HMT अपने ही वक्त से मात खा गई, कभी पंडित नेहरू ने किया था लॉन्च, अब लगा ताला
1990 आते-आते एचएमटी की बाजार हिस्सेदारी बहुत घट गई। यह 2016 तक चलती रही। फिर सरकार ने इसके आखिरी प्लांट पर ताला लगाने का फैसला ले लिया।

इंडिया में 1961 में घड़ी बनाने वाली एक कंपनी ने जन्म लिया। दरअसल, उस साल हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT) ने घड़ी बनाने के लिए जापान की सिटीजन वॉच से समझौता किया। बेंगलुरु में देश की पहली घड़ी बनाने वाली फैक्ट्री लगी। एचएमटी पिछले 8 सा से मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के लिए मशीन टूल्स बना रही थी। घड़ी बनाते ही एचएमटी की पहचान घर-घर में हो गई। कंपनी की पहली वॉच को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लॉन्च किया था।

ऑपरेशन शुरू करने के कुछ ही साल में घर-घर में बनाई पहचान

एचएमटी की घड़ियों की मांग इतनी बढ़ गई कि कंपनी के प्लांट के लिए उन्हें पूरा करना मुश्किल हो गया। इसके बाद कई प्लांट लगाए गएं। शुरुआती कुछ दशक तक कंपनी ने बेसिक मैकेनिकल वॉच बनाए। बाद में ऑटोमैटिक वॉच बनने लगी। करीब चार दशक तक एचएमटी की पहचान 'Timekeepers of the Nation' के रूप में बनी रही। तब मार्केट के 90 फीसदी हिस्से पर उसका कब्जा था। उसका मुकाबला टाइमस्टाल और ऑलविन जैसी घड़ियों से था। कुछ आयातित घड़ियां भी बाजार में थीं।

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