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वाडिया ग्रुप ने कहा, Go First के दिवालिया होने से ग्रुप की फाइनेंशियल क्षमता पर असर नहीं

नुस्ली वाडिया के मालिकाना हक वाले वाडिया ग्रुप का कहना है कि उसकी बजट एयरलाइन गो-फर्स्ट के दिवालिया होने से ग्रुप के बाकी बिजेनस के लिए फंड जुटाने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ग्रुप के प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल को बताया कि वाडिया ग्रुप की सभी कंपनियों की क्रेडिट रेटिंग मजबूत है। गो-फर्स्ट की शुरुआत 2005 में हुई थी और एयरलाइन ने इस साल मई में खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन किया था

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 01, 2024 पर 3:50 PM
वाडिया ग्रुप ने कहा, Go First के दिवालिया होने से ग्रुप की फाइनेंशियल क्षमता पर असर नहीं
एयरलाइन के पास 6,521 करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज है, जिसमें बड़ा हिस्सा पब्लिक सेक्टर बैंकों का है।

नुस्ली वाडिया (Nusli Wadia) के मालिकाना हक वाले वाडिया ग्रुप का कहना है कि उसकी बजट एयरलाइन गो-फर्स्ट (Go First) के दिवालिया होने से ग्रुप के बाकी बिजेनस के लिए फंड जुटाने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ग्रुप के प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल (Moneycontrol) को बताया कि वाडिया ग्रुप की सभी कंपनियों की क्रेडिट रेटिंग मजबूत है। उनका कहना था, 'वाडिया ग्रुप की सभी कंपनियों के पास भविष्य की ग्रोथ के लिए फंडिंग की कमी नहीं है।'

गो-फर्स्ट की शुरुआत 2005 में हुई थी और एयरलाइन ने इस साल मई में खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन किया था। एयरलाइन के पास 6,521 करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज है, जिसमें बड़ा हिस्सा पब्लिक सेक्टर बैंकों का है। गो-फर्स्ट द्वारा दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन दिए जाने के बाद ऐसी भी खबरें आ रही थीं कि वाडिया ग्रुप किसी ग्लोबल फंड की मदद से इस एयरलाइन के लिए बिड कर सकता है। हालांकि, आखिरकार वाडिया ग्रुप ने बिडिंग नहीं की।

नियमों के मुताबिक, कुछ खास स्थितियों में दिवालिया कंपनी के प्रमोटर्स भी कॉम्पिटिटव प्रोसेस के तहत बिड कर सकते हैं। आम तौर पर किसी कंपनी के दिवालिया घोषित होने पर क्रेडिटर्स की बकाया रकम में काफी हद तक कटौती की जाती है, जिससे कंपनी के कर्ज का बोझ कम हो जाता है और कंपनी के रिवाइवल की संभावनाएं बेहतर होती हैं। प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल के सवालों के जवाब में कहा, 'वाडिया ग्रुप ने गो-फर्स्ट की संभावित बिड के लिए ग्लोबल या घरेलू स्तर पर किसी से संपर्क नहीं किया है।'

प्रवक्ता का कहना था, 'यह वाकई में दुखद है कि प्रमोटर्स द्वारा बड़े पैमाने पर फंड डाले जाने (पिछले तीन साल में 3,200 करोड़ रुपये) और सरकार व बैंकों से तमाम सहयोग के बाद भी एयरलाइन का ऑपरेशन नहीं चलाया जा सका। प्रैट एंड व्हिटनी के खराब इंजन की वजह से ऐसा हुआ।' क्रिसिल (CRISIL) रेटिंग्स ने दिसंबर में ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी बॉम्बे डाइंग (Bombay Dyeing) और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड (BDAMCL) की क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड कर 'स्टेबल' कर दिया था।

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