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Bichu Ghas: बिच्छू की तरह डंक मारती है यह पहाड़ी सब्जी, कैंसर, BP जैसी जानलेवा बीमारियां रहेंगी दूर

Bichu Ghas: उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमायूं क्षेत्रों में खेतों के आसपास एक घास पाई जाती है। जिसे बिच्छू घास कहते हैं। यह घास बेहद खतरनाक है। यह बिच्छू की तरह डंक मारता है। इस घास की सब्जी बनाई जाती है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसके सेवन से मलेरिया, कैंसर, बीपी, पेट की बीमारियां ठीक करने में मदद मिलती है

अपडेटेड Apr 12, 2025 पर 10:55 AM
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Bichu Ghas: बिच्छू घास की सब्जी में आयरन, विटामिन-A और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में कई तरह की घास के बारे में सुना होगा। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी इलाकों में कई तरह जंगली घास और अन्य सब्जियों के बारे में नाम सुनने को मिलता रहता है। ऐसे ही उत्तराखंड के गढ़वाल, कुमाऊं में एक जंगली घास पाई जाती है। जिसे 'बिच्छू घास' (Bichu Ghas) के नाम से जाना जाता है अगर गलती से भी इसे छू लिया तो उस हिस्से में तेज जलन और खुजली होने लगती है। यहां तक कि त्वचा पर फफोले भी पड़ जाते हैं। इसमें बिच्छू के काटने जैसा दर्द होता है। इसी लिए इसे बिच्छू घास कहते हैं।

इस घास का वैज्ञानिक नाम अरर्टिका डाइओका (Urtica dioica) है। अंग्रेजी में इसे Stinging nettle कहा जाता है। इसे स्थानीय भाषा में सिसौंण, बिच्छु बूटी या बिच्छु घास कहा जाता है। इसकी सब्जी बनाई जाती है। इस सब्जी को कंडाली (Kandaali ka Saag) कहा जाता है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में इसे कंडाली और कुमाऊं क्षेत्र में सिसूंण कहा जाता है।

विटामिन और मिनरल्स का खजाना


यह जगंली घास शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें विटामिन A, C और K, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम और सोडियम जैसे मिनरल्स, एमिनो एसिड्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। साग बनाने के लिए इसे हाथों से तोड़ने के बजाए चिमटे से तोड़ा जाता है। फिर पानी में उबाल कर इसके डंक के असर को खत्म कर दिया जाता है। इसके बाद आसानी से इसे किसी भी दूसरे हरे साग की तरह पकाया जा सकता है। यह सेहत के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। स्वाद भी इसका लाजवाब है। पहाड़ी लोगों के खानपान का यह अहम हिस्सा है। इसके औषधीय गुण जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

कैंसर के लिए फायदेमंद

इस सब्जी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो आपकी कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से उम्र के साथ कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। बिच्छू घास का रस खून में एंटीऑक्सीडेंट लेवल को बढ़ाने का काम करता है।

BP रहेगा कंट्रोल

हाई बीपी हार्ट डिजीज, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है। बिच्छू घास का इस्तेमाल हाई बीपी के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह बीपी को कम करता है।

कई बीमारियों के लिए रामबाण

अगर आपको शरीर में पित्त दोष की बीमारी है, तो इसका सेवन जरूर करें। पेट की गर्मी को दूर करने की इसमें जबरदस्त क्षमता होती है। इसके साथ ही ये पेट से बनने वाली बीमारियों को दूर कर देती है। आपके शरीर के किसी हिस्से में मोच आ गई है तो इसकी पत्तियों के इस्तेमाल से अर्क बनाकर प्रभाविक जगह पर लगा सकते हैं। इससे सूजन कम होगी और जल्द ही आराम मिलेगा। इसके सेवन से बुखार बहुत जल्दी ठीक होता है। इससे इम्यूनिटी बढ़ती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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