झारखंड के घने जंगलों में पाया जाने वाला बेलवा पौधा आदिवासी समुदाय के लिए बहुत खास है। यह पौधा पीढ़ियों से उनकी परंपरा का हिस्सा रहा है और इसे त्वचा संबंधी बीमारियों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खासकर छठी के दिन नवजात शिशुओं के शरीर पर इसकी पत्तियां रगड़ने की परंपरा है। आदिवासियों का मानना है कि ऐसा करने से बच्चे को चर्म रोग, दाद, खुजली या किसी भी त्वचा संक्रमण से बचाव मिलता है। अब वैज्ञानिक भी इस पौधे के गुणों पर शोध कर रहे हैं।