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असम-मिजोरम सीमा-विवादः 150 साल पुराने विवाद में अब क्यों भड़की हिंसा, आखिर किसकी है गलती!

गवर्नेंस के मोर्चे पर ऐसी क्या गड़बड़ी है कि इतने साल बाद भी भारत के दो राज्यों में विवाद जारी है

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 01, 2021 पर 9:46 AM
असम-मिजोरम सीमा-विवादः 150 साल पुराने विवाद में अब क्यों भड़की हिंसा, आखिर किसकी है गलती!

चंदन श्रीवास्तव

दो देशों के बीच सीमा-विवाद का उग्र होकर रक्तरंजित रुप ले लेना समझ में आता है लेकिन एक देश के भीतर दो राज्यों के सीमा-विवाद का रक्तरंजित हो उठना? यह सिरे से ना समझ में आने वाली बात है। ऐसा तब ही हो सकता है जब गवर्नेंस के मोर्चे पर कोई बुनियादी गड़बड़ी हो। इस गड़बड़ी को परखना हो तो असम और मिजोरम के बीच कायम सीमा-विवाद पर गौर कीजिए जिसने खूनी शक्ल अख्तियार की।

दोनों राज्यों की पुलिस आमने-सामने तन गई, गोलियां चलीं। धरती पर गिरनेवाला खून विधि-व्यवस्था की जिम्मेवारी संभाल रहे पुलिसकर्मियों का था और विधि-विधान के हिसाब से जिनके जान-ओ-माल की रक्षा की जा रही है उन नागरिकों का भी।

तुम्हारी गलती..मेरी नहीं
 
दोनों सूबों के मुख्यमंत्री दिन भर ट्वीटर-युद्ध में उलझे रहे। एक सूबे (मिजोरम) के मुख्यमंत्री ने शाम के पांच बजे तक ट्वीटर पर मोर्चा संभाले रखा तो दूसरे राज्य (असम) के मुख्यमंत्री की ट्वीटर के मैदान-ए-जंग पर देर रात रात तक हांक-डाक सुनायी देती रही। किसने पहले हिंसा को उकसावा दिया, पहली गोली किसने चलायी?

किसने पहले सीमा का अतिक्रमण किया, किसने बहाल यथास्थिति और चले आ रहे समझौते को तोड़ने और बदलने की कोशिश की? इन सवालों पर दोनों सूबे हिंसा के दिन (सोमवार) उलझे रहे, एक-दूसरे पर गलती मढ़ते रहे।

घटना को बीते हुए हफ्ता भर हो आया लेकिन दोनों सूबों के बीच तनातनी और तोहमतबाजी के खेल में कोई कमी नहीं आयी है। मंगलदोई, असम के सांसद और बीजेपी के महासचिव दिलीप सैकिया कह रहे हैं कि मिजोरम की सरकार को हिंसा की घटना के लिए असम के लोगों और असम की सरकार से माफी मांगनी चाहिए। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि असम-मिजोरम सीमा पर करीमगंज, कछार और हैलाकंडी जिले में तैनाती के लिए तीन नये कमांडो बटालियन बनाये जा रहे हैं।

असम की सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है कि हिंसा की हालत के मद्देनजर वे मिजोरम में ना जायें और असम के जो बाशिन्दे मिजोरम में रोजी-रोजगार या किसी और कारण से बसे-ठहरे हों वे अपनी हिफाजत के लिहाज से भरपूर एहतिहात बरतें।

अपने तरह ही शायद यह पहली एडवायजरी है जिसमें एक राज्य अपने बाशिन्दों को अपने पड़ोसी राज्य के नागरिकों, सरकार और पुलिस से सतर्क होकर रहने को कह रहा है।

जहां तक मिजोरम का सवाल है, इस बार उसने भी पूरे देश को अपना पक्ष सुनाने में कोताही नहीं की।मिजोरम में अंग्रेजी जानने वालों की कौन कहे, हिन्दी के जाननहार भी गिनती के ही मिलेंगे लेकिन सोशल मीडिया पर मिजोरम के नागरिकों ने गैर-मिजो जनता के लिए बड़े-बड़े पोस्ट लिखे और ये सोचकर कि राष्ट्रीय मीडिया में उनकी बातें भी दर्ज होंगी, बड़े मीडिया हाउसों को टैग किया।

इस सच्चाई की तस्दीक असम सरकार की जारी एडवायजरी से भी होती है जिसमें कहा गया है कि मिजो नागरिक-समुदाय (सिविल सोसायटी), छात्र और युवा-संगठन लगातार असम और इसकी जनता के खिलाफ भड़काऊ बयान जारी कर रहे हैं।

गौर कीजिए कि ये स्थिति तब है जब देश के गृहमंत्री दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हिदायत दे चुके हैं कि सुलह-शांति से काम लीजिए, विवाद का मंत्रीपूर्ण समाधान निकालिए। सोमवार की घटना के बस दो दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री ने पूर्वोत्तर के राज्यों के मुख्यमंत्रियों से शिलांग में बातचीत की थी। इसमें पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच कायम सीमा-विवाद पर भी चर्चा हुई और गृहमंत्री ने कहा कि 2024 के चुनावों से पहले आपस सीमा-विवाद खत्म कीजिए।

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