बालासोर ट्रेन हादसा : 'पानी भी दिखता है खून, भूख भी मर गई' सदमे में आए रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे NDRF के जवान
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) के DG अतुल करवाल ने मंगलवार को बताया कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान (Rescue Operation) में तैनात फोर्स का एक कर्मी, जब भी कहीं पानी देखता है, तो उसे वो खून नजर आता है, जबकि एक दूसरे बचावकर्मी को अब भूख ही नहीं लग रही है। बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए NDRF की नौ टीम को तैनात किया गया था
कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के पटरी से उतने के बाद मौके पर तलाशी और बचाव अभियान में जुटे NDRF के जवान (PHOTO-PTI)
ओडिशा (Odisha) के बालासोर (Balasore) में दो जून को हुए भीषण रेल हादसे (Train Accident) ने न केवल अपनों को खोने वालों और इसमें घायल हुए लोगों को कभी न भरने वाले घाव दिए हैं, बल्कि NDRF के बचावकर्मियों पर मानसिक रूप से भी इस घटना जबरदस्त असर पड़ा है। नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) के DG अतुल करवाल ने मंगलवार को बताया कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान (Rescue Operation) में तैनात फोर्स का एक कर्मी, जब भी कहीं पानी देखता है, तो उसे वो खून नजर आता है, जबकि एक दूसरे बचावकर्मी को अब भूख ही नहीं लग रही है।
बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ के नौ दलों को तैनात किया गया था। भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में करीब 288 लोगों की मौत हो गयी और 900 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बचाव अभियान खत्म होने और पटरियों की मरम्मत के बाद इस रूट पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू कर दी गई है, लेकिन कई पीड़ितों का दावा है कि उनके अपनों का पता नहीं चल पा रहा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बल ने 44 पीड़ितों को बचाया और घटनास्थल से 121 शव बरामद किए।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, करवाल ने कहा, "मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला... एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है, तो उसे वो खून की तरह लगता है। एक और बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगना बंद हो गयी है।"
दिल्ली के विज्ञान भवन में NDRF के आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर सालाना सम्मेलन, 2023 को संबोधित करते हुए करवाल ने कहा कि हादसा इतना भीषण था कि बोगियां क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे कई शव उनके अंदर फंसे रह गए।
जवानों के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग और मेंटल स्टेबिलिटी कोर्स शुरू
हाल में दुर्घटनास्थल का दौरा करने वाले NDRF के DG ने कहा कि अपने कुछ कर्मियों की इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए फोर्स ने अपने कर्मियों के बचाव और राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग और मेंटल स्टेबिलिटी कोर्स शुरू किया है।
उन्होंने कहा, "अच्छी मानसिक सेहत के वास्ते ऐसी काउंसलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है, जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव और राहत अभियानों में शामिल होते हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारे कर्मियों को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रहने की जरूरत है, इसलिए अलग-अलग शारीरिक और मानिसक फिटनेस प्रोग्राम शामिल किए गए हैं। बचावकर्ताओं की अच्छी मानसिक सेहत के लिए काउंसलिंग सेशन कराए जा रहे हैं।’’
करवाल ने बताया कि हाल में तुर्किये में भूकंप के बाद वहां राहत अभियान से लौटने बचावकर्ताओं के लिए भी ऐसे सेशन आयोजित किए गए थे। उन्होंने कहा कि NDRF नियमित काउंसलर की भर्ती करने की प्रक्रिया में भी है।
करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में कराए विशेष अभ्यास के बाद तकरीबन 18,000 कर्मियों में से 95% कर्मी ‘फिट’ पाए गए।
देशभर में डूबने से होने वाली मौत की घटनाओं से निपटने के बारे में NDRF के DG ने कहा कि बल ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की तरफ से मौत पर उपलब्ध कराए आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद एक ‘‘हीट मैप’’ तैयार किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें NCRB ने बताया कि भारत में डूबने के कारण हर साल औसतन करीब 36,000 लोगों की जान चली जाती है और इन घटनाओं में से करीब दो तिहाई ज्यादातर नहाने के लिए निर्धारित ‘घाटों’ पर हुई।’’
करवाल ने कहा, "हम अब इन मौतों को रोकने के लिए कदम उठाने पर काम कर रहे हैं।"
सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आपदाओं से निपटने और पूर्व चेतावनी विषय पर अति सक्रिय है।
उन्होंने कहा कि पिछले नौ साल में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने यह सुनिश्चित किया है कि न केवल देश में बल्कि जब हमारे बचावकर्ताओं को विदेश भेजा जाता है, तो उन्हें सभी तरह की आपदाओं से निपटने के लिए उचित नीति, योजना, संसाधन और प्रशिक्षण उपलब्ध हो। उन्होंने बालासोर ट्रेन दुर्घटनास्थल औक तुर्किये में NDRF की तरफ से किए कामों की प्रशंसा की।