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गोल्ड का आयात कंट्रोल नहीं किया गया तो यह ऑयल को पीछे छोड़ देगा, जानिए निलेश शाह ने ऐसा क्यों कहा

कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी और सीईओ निलेश शाह ने कहा कि बजट में बेसिक कस्टम ड्यूटी में कमी के बाद गोल्ड खरीदने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। इससे गोल्ड आयात पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा ऐसे में स्थिति ऑयल इंपोर्ट बिल जैसी हो जाएगी

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 27, 2024 पर 9:25 PM
गोल्ड का आयात कंट्रोल नहीं किया गया तो यह ऑयल को पीछे छोड़ देगा, जानिए निलेश शाह ने ऐसा क्यों कहा
भारत सोने के आयात के मामले में दुनिया में पहले पायदान पर है। भारत गोल्ड की करीब पूरी जरूरत आयात से पूरा करता है।

कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी और सीईओ निलेश शाह ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को गोल्ड के इंपोर्ट बिल पर नजर रखने की सलाह दी है। सीएनबीसी-टीवी18 के एक प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि बजट में कस्टम ड्यूटी घटने के बाद और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल के मद्देनजर गोल्ड के इंपोर्ट बिल पर नजर रखना जरूरी है। उन्होंने सोने की कीमतों में तेजी का अनुमान जताया। उन्होंने कहा कि शुरुआती संकेतों से ऐसा लगता है कि हम 700 टन सोने का आयात कर रहे हैं। यह करीब 35-40 अरब डॉलर के बराबर है।

इंपोर्ट ड्यूटी घटने से आयात बढ़ने का डर

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का ऐलान किया। इसके मद्देनजर शाह ने कहा कि ऐसा न हो जाए कि सोने के आयात पर होने वाला हमारा खर्च तेल आयात के खर्च से ज्यादा हो जाए। 23 जुलाई को पेश बजट में वित्मंत्री ने सोने पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दी। उन्होंने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC) भी 5 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी कर दिया। इससे गोल्ड पर कुल टैक्स 18.5 फीसदी से घटकर 9 फीसदी (जीएसटी सहित) हो गई है। वित्तमंत्री ने बजट में सिल्वर पर भी कस्टम ड्यूटी घटाकर 6 फीसदी कर दी। प्लैटिनम पर इसे घटाकर 6.4 फीसदी किया गया है।

ऑयल के आयात पर हर साल खर्च होता है काफी ज्यादा पैसा

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