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Amar Singh Chamkila जानिए मिल वर्कर से सिंगर बनने तक का सफर, कैसे एक दिन गोलियों ने छीन ली सांसें

Amar Singh Chamkila के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं। 27 साल की उम्र में ही दुनिया से विदा लेने वाले इस सिंगर ने कमाल के गाने लिखे लेकिन जब इनकी मौत हुई तो ना ही कोई FIR हुई ना ही किसी तरह से केस आगे बढ़ा। कोई इसे आतंकवादियों और खालिस्तानियों का काम बता रहा था तो कोई इसे जाति से भी जोड़कर देख रहा था।

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 04, 2024 पर 4:27 PM
Amar Singh Chamkila जानिए मिल वर्कर से सिंगर बनने तक का सफर, कैसे एक दिन गोलियों ने छीन ली सांसें
Amar Singh Chamkila की मौत को लेकर आज भी सामने नहीं आई कोई अपडेट

Amar Singh Chamkila: पंजाब की धरती ने हमेशा से ही इतिहास रचा है। गुरुओं की इस धरती पर वीर-योद्धाओं के साथ-साथ साहित्यकार और गीतकार भी पैदा हुए। ऐसे गीतकार जिनकी बातें सदियों तक होंगी। इन्हीं में मशहूर नाम है अमर सिंह चमकीला का। इम्तियाज अली नेटफ्लिक्स (Netflix Shows) पर इसी मशहूर सिंगर (Punjabi Singers) की कहानी लेकर आ रहे हैं। फिल्म का नाम है चमकीला और इसमें दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) के साथ परिणीति चोपड़ा (Parineeti Chopra) को भी कास्ट किया गया है। सिंगर की जीवनी पर पहले भी फिल्में बनीं हैं। दिलजीत दोसांझ कबीर चौधरी की मोक्युमेंट्री मेशामपुर 2018 में भी काम कर चुके हैं। हालांकि ये एक डॉक्युमेंट्री स्टाइल फिल्म थी।

Amar Singh Chamkila का जन्म और सिंगिंग के लिए प्यार

चमकीला यानी जो जगमगाए, चमके और रोशनी से भरा हो। 1 जुलाई 1960 को करतार कौर और हरी सिंह सांडिला के परिवार में धनी राम का जन्म हुआ। धनी राम जो आगे चलकर चमकीला बना। लुधियाना के दलित परिवार में आगे बढ़ते हुए 6 साल की उम्र से ही चमकीला ने गाना-गाना शुरू कर दिया था। सपना था कि बड़ा होकर इलेक्ट्रिशियन बनूंगा। 18 का हुआ तो कपड़ा मिल में काम करने लगा और ब्रेक के वक्त पर गाने लिखता। फिर गुरमैल कौर से शादी हो गई और चार बच्चे हुए लेकिन उनमें से सिर्फ दो बेटियां ही बच पाईं। अमनदीप और कमलदीप में कमल चमकीला पंजाब लोकगीत की काफी बड़ी हस्ती हैं।

मिल वर्कर से गायकों की टोली की संगत

मिल में काम करते हुए चमकीला ने ढोलकी और हार्मोनियम बजाना भी सीख लिया। 16 साल की उम्र में एक परफॉर्मेंस ग्रुप भी ज्वाइन कर लिया। वो लोकल आर्टिस्ट और म्यूजिक सेशन अटेंड करने लगे। ऐसी ही एक मीटिंग में उनकी मुलाकात सुरिंदर शिंडा से हुई। बस सुरिंदर को अपना गुरू मानकर वो उनके लिए गाने लिखने लगे और कोरस में भी गाने लगे। चमकीला की मदद से शिंडा काफी पॉपुलर हो गए। हर महीने चमकीला को 100 रुपए दिए जाते थे जिससे गुजारा करना बेहद मुश्किल है। चमकीला ने अकेले बढ़ने का फैसला किया।

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