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हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे से लेकर सीमा विवाद तक कैसे पहुंचे भारत चीन के रिश्ते, दोनों देशों के लिए क्यों अहम है तवांग, 1962 युद्ध के बाद कब-कब बदली तस्वीर

यह नारा चीन (China) और भारत (India) के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों के निष्कर्ष के बाद दिया गया था। इसके तहत भारत ने तिब्बत (Tibet) में चीन के शासन को स्वीकार कर लिया था

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 14, 2022 पर 1:23 PM
हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे से लेकर सीमा विवाद तक कैसे पहुंचे भारत चीन के रिश्ते, दोनों देशों के लिए क्यों अहम है तवांग, 1962 युद्ध के बाद कब-कब बदली तस्वीर
भारत और तीन के लिए क्यों अहम है तवांग

आपको वो नारा याद है- 'हिंदी चीनी भाई भाई'? 1954 में दिवंगत प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ( Jawaharlal Nehru) ने इस नारे का समर्थन किया था। यह नारा चीन (China) और भारत (India) के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों के निष्कर्ष के बाद दिया गया था। इसके तहत भारत ने तिब्बत (Tibet) में चीन के शासन को स्वीकार कर लिया था।

भारत की स्वतंत्रता और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) बनने के बाद, भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण राजनयिक संबंध बनाए रखे।

इसके बाद भी लगातार कई घटनाएं हुई, लेकिन भारत को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब चीन ने 20 अक्टूबर, 1962 को हमला किया। इसे ही 1962 के चीन-भारत युद्ध के नाम से जाना जाता है।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की तरफ से कभी हमला न करने के विश्वास ने भारतीय सेना को तैयार नहीं होने दिया और नतीजा 10,000-20,000 भारतीय सैनिकों और 80,000 चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध जारी था।

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