Get App

महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे दे सकते हैं इस्तीफा, सब कुछ ठीक नहीं है: आदित्य ठाकरे

उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने दावा किया है कि राज्य सरकार में अहम बदलाव हो सकते हैं और इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद से हो सकती है। शिव सेना (उद्धव ठाकरे गुट) के एक और नेता ने दावा किया कि राज्य सरकार में अजित पवार की एंट्री के बाद एकनाथ शिंद ग्रुप के करीब 20 विधायक उनकी पार्टी के साथ संपर्क में हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 08, 2023 पर 3:34 PM
महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे दे सकते हैं इस्तीफा, सब कुछ ठीक नहीं है: आदित्य ठाकरे
खबर है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) एकनाथ शिंदे गुट को किनारे करने में जुटी है

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल के विस्तार की खबरों के बीच शिव सेना विधायक और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने दावा किया है कि राज्य सरकार में अहम बदलाव हो सकते हैं और इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद से हो सकती है। ठाकरे ने कहा कि शिंदे से इस्तीफा देने को कहा गया है। उनके मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार और एनसीपी के 8 अन्य विधायकों को शामिल किए जाने से शिंदे की कुर्सी खतरे में है। फिलहाल, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार और देवेंद्र फड़नवीस, दो उपमुख्यमंत्री हैं।

आदित्य ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'मैंने सुना है कि सीएम (एकनाथ शिंदे) को इस्तीफा देने को कहा गया है और सरकार में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। खबर है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) एकनाथ शिंदे गुट को किनारे करने में जुटी है। इसी सिलसिले में आदित्य ठाकरे ने यह बयान दिया है। अजित पवार और उनके समर्थकों को महाराष्ट्र सरकार में शामिल किए जाने के बाद इस तरह की खबरें आनी शुरू हुई हैं।

शिव सेना (उद्धव ठाकरे गुट) के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि राज्य सरकार में अजित पवार की एंट्री के बाद एकनाथ शिंद ग्रुप के करीब 20 विधायक उनकी पार्टी के साथ संपर्क में हैं। संजय राउत ने कहा, 'अजित पवार और एनसीपी (NCP) के बाकी नेताओं के सरकार में शामिल होने के बाद शिंदे कैंप के करीब 17-18 विधायकों ने हमसे संपर्क किया है।'

इन तमाम खबरों के बीच एकनाथ शिंदे का कहना है कि उनका इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है। उनका कहना था कि एनसीपी के बागी नेताओं को लेकर शिवसेना के भीतर कोई मतभेद नहीं है। शिंदे का कहना था कि सरकार में शामिल होने के अजित पवार के फैसले से साफ है कि उन्हें 'देशद्रोही' कहना या उन पर किसी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी करना सही नहीं था।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें