Get App

Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्मा गांधी को पुलिस की सुरक्षा पर नहीं ईश्वर पर भरोसा था!

सरदार पटेल ने कहा, महात्मा गांधी को लगभग पूर्वाभास हो गया था। क्योंकि उन्होंने कहा था कि यदि कोई मेरी हत्या करना चाहे तो प्रार्थना सभा में कर सकता है

अपडेटेड Jan 30, 2022 पर 7:50 AM
Story continues below Advertisement
गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल को प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की सुरक्षा की चिंता हुई थी

सुरेंद्र किशोर

महात्मा गांधी ने तत्कालीन उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को धमकी दे दी थी कि यदि प्रार्थना सभा में आने वाले किसी भी व्यक्ति की तलाशी ली गई तो मैं उसी क्षण से आमरण अनशन शुरू कर दूंगा। ऐसे में पटेल सहित पूरी नेहरू सरकार सहम गयी थी। केंद्र सरकार जानती थी कि बापू जो कहते हैं, वह कर गुजरते हैं। उस उम्र में अनशन गांधी जी के लिए खतरनाक साबित हो सकता था। इसलिए उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर गांधी जी की सुरक्षा की कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गयी।

याद रहे कि 20 जनवरी को बिड़ला हाउस के पास बम विस्फोट हो चुका था। याद रहे कि 30 जनवरी 1948 को नाथू राम गोडसे ने प्रार्थना सभा में गोली मार कर गांधी जी की हत्या कर दी थी। महात्मा गांधी की हत्या को लेकर जय प्रकाश नारायण और डा.राम मनोहर लोहिया जैसे समाजवादियों ने सरदार पटेल की सख्त आलोचना की थी। यानी वे भी यह कह रहे थे कि यदि सरकार चाहती तो बापू को बचाया जा सकता था।


अब उस समय की घटनाओं पर एक नजर डाल लेना मौजू होगा। दरअसल गांधी जी के लिए सरदार पटेल पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करना चाहते थे। दिल्ली के बिड़ला हाउस स्थित प्रार्थना सभा में सरकारी सुरक्षा की पहल को महात्मा ने इसलिए भी ठुकरा दिया था क्योंकि वह निजी सुरक्षा पर सरकारी साधनों के उपयोग के सख्त खिलाफ थे। उधर सरदार पटेल ने गांधी जी से कई बार विनती की थी कि वह बिड़ला भवन के आसपास हल्की सुरक्षा व्यवस्था भी मंजूर कर लें। यदि तलाशी की व्यवस्था होती तो गोडसे पिस्तौल लेकर बिड़ला भवन में नहीं पहंच पाता।

सरदार पटेल ने कहा था कि "20 जनवरी 1948 को हुई बम विस्फोट की घटना के पहले बिड़ला हाउस की सशस्त्र सैनिकों द्वारा घेराबंदी की गई थी। बम विस्फोट के बाद प्रत्येक कमरे में एक पुलिस अधिकारी तैनात था। मैं जानता था कि महात्मा को यह पसंद नहीं था। उन्होंने इस संबंध में कई बार मुझसे बहस की थी। अंत में गांधी जी झुके,परंतु सख्ती से जोर देकर कहा कि किसी भी परिस्थिति में उन लोगों की,जो प्रार्थना में शामिल होने आएं , तलाशी न ली जाए।"

गांधी की हत्या के बाद समाजवादियों ने सरदार पटेल के खिलाफ जो लंबा निंदापूर्ण भाषण दिया,उससे सरदार पटेल को गहरा आघात लगा था। सरदार पटेल ने 4 फरवरी 1948 को आयोजित कांग्रेस विधायक दल की बैठक में उसका जवाब दिया। पर भाषण के बीच में ही वे इतना भावुक हो गए कि वे अपना भाषण पूरा किए बिना ही बैठक से अचानक घर चले गए।

गुलाम नबी आजाद के समर्थन में आए कपिल सिब्बल, बोले- 'विडंबना है कि कांग्रेस को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं'

बाद में पटेल ने कहा कि "महात्मा गांधी को लगभग पूर्वाभास हो गया था। क्योंकि उन्होंने कहा था कि यदि कोई मेरी हत्या करना चाहे तो प्रार्थना सभा में कर सकता है। ईश्वर की इच्छा पूरी हो गई। अतः प्रार्थना सभा में आने वाली भीड़ की पुलिसिया तलाशी लेने का प्रश्न ही नहीं था। फिर भी 30 पुलिस अधिकारी सादे कपड़ों में तैनात थे,जो गांधीजी की हत्या के दिन प्रार्थना सभा की भीड़ में सम्मिलित थे। हत्यारा महात्मा गांधी के सामने झुका,उसने उन पर पिस्तौल तान दी। इससे पहले कि कोई उसे पकड़े,उसने गोलियां चला दीं। यह दुःखद दुर्भाग्य था जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सका।"

5 फरवरी 1948 को संविधान सभा में सरदार पटेल ने कहा कि "हत्यारे ने उसी स्थिति का फायदा उठाया जिस पर गांधी जी के आग्रह के कारण सरकारी स्तर पर कार्रवाई नहीं की जा सकी। पटेल ने उन अफसरों,पुलिस कर्मियों तथा सेना के जवानों का विवरण संविधान सभा में पेश किया जो बापू की प्रार्थना सभा के पास तैनात थे। पर उनकी सुरक्षा को और पोख्ता बनाने के लिए यह जरूरी था कि आगंतुकों की तलाशी ली जाए।"

बापू के अनेक प्रशंसक उनकी इस बात से असहमत थे और यह चाहते थे के वे अपनी जिद छोड़ कर तलाशी की व्यवस्था स्वीकार कर लें। सरदार पटेल भी इसी विचार के थे। पर उनकी गांधी के सामने एक न चली। पर उनकी हत्या के बाद पटेल को पूरे देश में नाहक आलोचना जरूर सहनी पड़ी। पटेल ने कहा था कि "सावधानियों को अधिक प्रभावकारी बनाने के लिए पुलिस का विचार था कि प्रार्थना सभा में शामिल होने वाले प्रत्येक अजनबी की परिसर में जाते समय तथा अन्य समय तलाशी ली जाए।"

नई दिल्ली के पुलिस अधीक्षक ने गांधी जी के स्टाफ के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था। लेकिन उन्हें बताया गया कि गांधी जी इससे असहमत हैं। उप महा निरीक्षक ने भी गांधी जी के स्टाफ से संपर्क किया था। लेकिन परिणाम वही रहा। तब DIG व्यक्तिगत रूप से गांधी जी से मिले। उन्हें समझाया कि उनके जीवन पर खतरा है। हमें सुरक्षा प्रबंध करने की अनुमति दी जानी चाहिए। अन्यथा कोई अप्रिय घटना होने पर हमारी बदनामी होगी। लेकिन गांधी जी सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा कि मेरा जीवन ईश्वर के हाथ में है। यदि उनकी मृत्यु आ गई है तो कोई सावधानी उन्हें नहीं बचा पाएगी।

Assembly elections 2022: चुनाव आयोग ने 10 फरवरी से एग्जिट पोल पर लगाई रोक, पढ़ें सभी डिटेल

गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल को प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की सुरक्षा की चिंता हुई। तब तक जवाहर लाल जी चार कमरे के एक छेाटे सरकारी बंगले में रहते थे। पर खुद जवाहर लाल जी बड़े मकान में जाने को तैयार नहीं थे। सरदार पटेल ने उनसे मिलकर प्रधान मंत्री से आग्रह किया कि आप बड़े मकान में जाएं। पर जवाहर लाल नेहरू जिद पर अड़े थे। संभवतः लोकलाज का सवाल था।

बाद के वर्षों में प्रतिपक्ष ने उन्हें तीन मूत्र्ति भवन जैसे आलीशान मकान में रहने के लिए भारी आलोचना भी की थी। पर पटेल की जिद दूसरे कारण से थी। गृह मंत्री ने नेहरू जी से कहा कि गांधी जी को हम लोग नहीं बचा सके। इसकी पीड़ा से अभी हम उबरे नहीं हैं। यदि आपको कुछ हो गया तो हम कहीं के नहीं रहेंगे। यदि आप बड़े मकान में जाना स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। इस धमकी पर जवाहर लाल नेहरू मान गये।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों के जानकार हैं)

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Jan 30, 2022 7:50 AM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।