Bihar Chief Minister Nitish Kumar : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आखिरकार एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया और आरजेडी और उसके सहयोगियों के साथ अपना नया गठबंधन बना लिया है।

Bihar Chief Minister Nitish Kumar : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आखिरकार एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया और आरजेडी और उसके सहयोगियों के साथ अपना नया गठबंधन बना लिया है।
शाम लगभग 4 बजे नीतीश ने राज्यपाल फागू चौहान को इस्तीफा सौंप दिया और साथ नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया।
एनडीए गठबंधन के साथ उनकी अनबन के संकेत उसी समय मिल गए थे, जब वह दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। यह जुलाई से अब तक केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई चौथी बैठक थी, जिससे नीतीश ने दूरी बनाई थी।
हाल में नीतीश कुमार की जद यू और भाजपा कई मुद्दों को लेकर एक दूसरे खिलाफ मुखर हो गई थीं। हम यहां ऐसे कुछ मामलों का उल्लेख कर रहे हैं, जब गठबंधन के दोनों भागीदारों ने एक दूसरे का विरोध किया था :
स्पीकर पद पर विवाद
नीतीश कुमार बिहार असेंबली के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा को हटाना चाहते थे। मुख्यमंत्री ने सिन्हा के खिलाफ अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी और उन पर सरकार से सवाल पूछकर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया था।
कैबिनेट में जगह
2019 की नरेन्द्र मोदी सरकार में जद यू को सिर्फ एक मंत्रालय दिया गया था। हाल में जद यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि पार्टी अब केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी।
हाल में कैबिनेट विस्तार के दौरान नीतिश कुमार ने बिहार कैबिनेट में अपनी पार्टी के आठ सदस्यों को जगह दी और भाजपा के लिए सिर्फ एक सीट छोड़ी।
भाजपा की नीतियों का विरोध
जद यू ने एक बार फिर से केंद्र से जुड़े मुद्दों और मामलों पर सहयोगी भाजपा का विरोध किया। अग्निपथ को लेकर हाल के हिंसक विरोध के दौरान नीतीश कुमार ने मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखी, वहीं उपेंद्र कुशवाहा और लल्लन सिंह उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र से प्रदर्शनकारियों से संवाद करने की अपील की।
इसके अलावा जद यू चीफ ने राज्य और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ कराने के भाजपा के प्रस्ताव का विरोध किया।
जद यू चाहती थी अपनी मर्जी थोपना
सीएम नीतीश कुमार चाहते थे कि बिहार कैबिनेट में मंत्रियों के चयन में उनकी रजामंदी ली जाए। हालांकि, ऐसा होता तो राज्य पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पकड़ कमजोर होती।
बैठकों से नदारद
पिछले महीने, नीतीश कुमार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं गए थे। माना जा रहा है कि एनडीए की कैंडीडेट होने के कारण नीतीश ने ऐसा किया था। इससे पहले 17 जुलाई को कुमार राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हुए और अपनी जगह भाजपा के तारकिशोर प्रसाद को भेज दिया था।
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