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Same-Sex Marriage: समलैंगिक विवाह के फैसले को चुनौती, याचिका पर 10 जुलाई को सुनवाई करेगा SC

Same-Sex Marriage: 17 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि इसे सक्षम करने के लिए कानून बनाना संसद पर निर्भर है। यह फैसला 2018 के ऐतिहासिक फैसले के पांच साल बाद आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक यौन संबंधों पर औपनिवेशिक युग के प्रतिबंध को हटा दिया था

Akhileshअपडेटेड Jul 05, 2024 पर 4:49 PM
Same-Sex Marriage: समलैंगिक विवाह के फैसले को चुनौती, याचिका पर 10 जुलाई को सुनवाई करेगा SC
Same-Sex Marriage: पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों द्वारा दिए गए फैसलों को चुनौदी दी गई है

Same-Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका पर 10 जुलाई को सुनवाई करेगा। इस मामले की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच करेगी, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, हिमा कोहली, नागरत्ना और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाने वाले पांच जजों में से दो (रवींद्र भट और एसके कौल) 2023 में रिटायर हो गए। पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के खिलाफ फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करते कहा था कि कानून की ओर से मान्यता प्राप्त विवाह को छोड़कर शादी का 'कोई असीमित अधिकार' नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून समलैंगिक जोड़ों के शादी करने के अधिकार को मान्यता नहीं देता और इसके लिए कानून बनाना संसद का काम है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में आदेश सुनाते हुए कहा था, "ये अदालत कानून नहीं बना सकती लेकिन कानून लागू कर सकती है।" CJI की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ केंद्र के इस विचार से सहमत थी कि कानून के साथ छेड़छाड़ करने से अन्य कानूनों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।

किसने दायर की याचिका?

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