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सरकार अब तक NJAC निरस्त होने को स्वीकार नहीं कर पाई है : जस्टिस एसके कौल

केंद्र सरकार ने 2014 में NJAC एक्ट पारित किया था। सरकार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए NJAC की व्यवस्था लागू करना चाहती थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में इसे निरस्त कर दिया था। अभी जजों की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम से होती है। इस सिस्टम का इस्तेमाल पिछले कई सालों से होता आ रहा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 30, 2023 पर 12:07 PM
सरकार अब तक NJAC निरस्त होने को स्वीकार नहीं कर पाई है : जस्टिस एसके कौल
जस्टिस संजय किशन कौल सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज थे। वह 26 दिसंबर को रिटायर हो गए। वह डेढ़ साल तक कॉलेजियम के सदस्य रहे।

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और कॉलेजियम के पूर्व सदस्य जस्टिस संजय किशन कौल (Sanjay Kishan Kaul) का मानना है कि सरकार अब भी यह समझने को तैयार नहीं है कि नेशनल अप्वॉइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) एक्ट को देश की सबसे बड़ी अदालत निरस्त कर चुकी है। इससे कॉलेजियम सिस्टम के लिए काम करना मुश्किल हुआ है। मनीकंट्रोल से बातचीत में कौल ने NJAC और न्यायधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में खुलकर अपनी राय बताई। उन्होंने कहा कि सरकार यह मानने को तैयार नहीं है कि ससंद करीब आम राय से बिल पास करती है और उसे निरस्त कर दिया जाता है। इस वजह से कॉलेजियम सिस्टम के लिए काम करना थोड़ा मुश्किल हो गया है।

NJAC क्या है?

केंद्र सरकार ने 2014 में NJAC एक्ट पारित किया था। सरकार कॉलेजियम सिस्टम की जगह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की जगह NJAC की व्यवस्था लागू करना चाहती थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में इसे निरस्त कर दिया था। तब से जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार और सुप्रीम कोर्ट का रुख एक समान नहीं रहा है।

कॉलेजियम सिस्टम क्या है?

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