Bangladesh Crisis: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़कर भाग जाने के बाद मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि जिन इस्लामी ताकतों ने उन्हें बांग्लादेश से बाहर निकाला था, उन्होंने ही शेख हसीना को भी देश छोड़ने पर मजबूर किया। बता दें कि तसलीमा को उनकी किताब 'लज्जा' को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद 1990 के दशक में बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया था। हसीना ने अपनी सरकार की विवादास्पद आरक्षण सिस्टम के खिलाफ जनता में भारी आक्रोश के बीच सोमवार (5 अगस्त) को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं।
विवादास्पद आरक्षण सिस्टम के तहत 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित की गई थीं। इस आरक्षण सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शनों में 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। तसलीमा ने हसीना की स्थिति को विडंबनापूर्ण बताते हुए सोशल मीडिया प्लेफॉर्म X पर लिखा, "हसीना ने इस्लामी ताकतों को खुश करने के लिए मुझे 1999 में उस समय मेरे देश से बाहर निकाल दिया था, जब मेरी मां मृत्युशय्या पर थीं और मैं उनसे मिलने के लिए बांग्लादेश आई थी। उन्होंने मुझे देश में दोबारा घुसने नहीं दिया। छात्र आंदोलन में शामिल उन्हीं इस्लामी ताकतों ने आज हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया।"
बांग्लादेश में सांप्रदायिकता और महिला समानता पर अपने लेखन के कारण इस्लामी कट्टरपंथियों की आलोचना का शिकार होने के बाद तसलीमा 1994 से बांग्लादेश से निर्वासित हैं। उपन्यास 'लज्जा' (1993) और तसलीमा की आत्मकथा 'अमर मेयेबेला' (1998) समेत उनकी कुछ पुस्तकों को बांग्लादेश सरकार ने बैन कर दिया था।
'लज्जा' में भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बंगाली हिंदुओं के साथ हुई हिंसा, बलात्कार, लूटपाट और हत्या की घटनाओं का विस्तृत डिटेल्स दिया गया है, जिसके कारण इस किताब की कड़ी निंदा हुई थी। नारीवादी लेखिका ने सोमवार को एक अन्य पोस्ट में लिखा, "हसीना को इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ना पड़ा। अपनी इस स्थिति के लिए वह खुद जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस्लामी ताकतों को पनपने दिया। उन्होंने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में लिप्त होने दिया। अब बांग्लादेश को पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए। सेना को शासन नहीं करना चाहिए। राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता कायम करनी चाहिए।"
बांग्लादेश में सोमवार को उस समय अराजकता फैल गई, जब शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से अचानक इस्तीफा दे दिया और सैन्य विमान से देश छोड़कर चली गईं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार 6 अगस्त को एक सर्वदलीय बैठक में नेताओं को सूचित किया कि भारत ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मदद का भरोसा दिलाते हुए उन्हें भविष्य की रणनीति तय करने के लिए समय दिया है।