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Chandrayaan 3 Landing: मिलिए, ISRO के उन हीरो से, जिनकी वजह से भारत के चांद पर पड़े कदम

Chandrayaan 3 Landing: चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल ने बुधवार को कहा कि भारत के तीसरे चंद्र अभियान में लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग तक मिशन का संचालन समयसीमा के अनुसार से हुआ। उन्होंने चंद्रयान-3 अभियान की सफलता के लिए पिछले चार सालों के दौरान इसरो की पूरी टीम द्वारा किए गए संयुक्त प्रयास को श्रेय दिया

Akhileshअपडेटेड Aug 24, 2023 पर 11:32 AM
Chandrayaan 3 Landing: मिलिए, ISRO के उन हीरो से, जिनकी वजह से भारत के चांद पर पड़े कदम
Chandrayaan-3 Mission: 23 अगस्त को शाम 6 बजे के कुछ ही मिनट बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हो गई। इस क्षण का इंतजार देश के 140 करोड़ लोग सांस थामे कर रहे थे। टीवी चैनलों पर सबकी आंखें जमी हुई थीं। जैसे ही विक्रम लैंडर ने चांद के सतह को छुआ देश के लोगों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया

Chandrayaan 3 Landing: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अपने तीसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लैंडर मॉड्यूल के चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के साथ ही भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया। इससे भारत चांद की सतह पर कदम रखने वाला दुनिया का चौथा देश और हमारी पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। भारत का चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6 बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। भारत सहित दुनियाभर में रहने वाले भारतीयों के बीच खुशी की लहर है।

चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल ने बुधवार को कहा कि भारत के तीसरे चंद्र अभियान में लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग तक मिशन का संचालन समयसीमा के अनुसार से हुआ। उन्होंने चंद्रयान-3 अभियान की सफलता के लिए पिछले चार सालों के दौरान इसरो की पूरी टीम द्वारा किए गए संयुक्त प्रयास को श्रेय दिया। भारत की इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे इसरो के सैकड़ों वैज्ञानिकों का संयुक्त प्रयास है। लेकिन खासकर चार वैज्ञानिक इस पूरे चंद्रयान मिशन का प्रमुख चेहरा रहे हैं।

एस सोमनाथ, इसरो चेयरमैन

भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रमा मिशन के पीछे इसरो प्रमुख एस सोमनाथ (S Somanath, ISRO Chairman) का दिमाग है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सोमनाथ को गगनयान और सूर्य-मिशन Aditya-L1 सहित इसरो के अन्य मिशनों को गति देने का श्रेय भी दिया गया है। भारत के अंतरिक्ष संगठन का नेतृत्व करने से पहले सोमनाथ ने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर डायरेक्टर भी रह चुके हैं। लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर मुख्य रूप से इसरो के लिए रॉकेट टेक्नोलॉजी विकसित करता है।

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