Diabetes का इलाज हो गया अब बेहद आसान, वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता

Diabetes Treatment: ब्लड शुगर से पीड़ित मरीजों के लिए एक खुशखबरी सामने आई है। डायबिटीज का इलाज अब बेहद आसान हो जाएगा। वैज्ञानिकों को इस मामले में बड़ी सफलता मिली है। अब मरीजों को इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैज्ञानिक मानव कोशिका में इस तरह का बदलाव करने में सफल रहे हैं। जिससे कि वो इंसुलिन का निर्माण होता रहेगा

अपडेटेड Jun 07, 2023 पर 10:28 AM
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Diabetes Treatment: रिसर्च करने वाली टीम ने मनुष्य की स्टेम सेल से बीटा सेल्स का निर्माण किया है

Diabetes Treatment: इन दिनों डायबिटीज के मरीज पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं। गलत खानपान और बेहतर लाइफ स्टाइल नहीं होने के चलते लोग कई तरह की बीमारियों का सामना कर रहे हैं। इस बीच डायबिटीज के मरीजों के एक बहुत बड़ी खुशखबरी सामने आई है। वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता मिली है। अब टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में बहुत कारबर साबित हो सकती है। वैज्ञानिक मानव कोशिका में इस तरह का बदलाव करने में सफल रहे हैं। जिससे कि वो इंसुलिन बनाने में सक्षम हो सके। इससे शरीर में बढ़ते ब्लड शुगर के लोवलन को कंट्रोल किया जा सकता है।

चूहों पर किए गए एक रिसर्च में उनके सेल्स में इस तरह के बदलवाव करने में सफलता मिली है। इस रिसर्च में आधुनिक जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक (Genetic Engineering Techniques) का इस्तेमाल किया गया है। इस रिसर्च में अमेरिका के वेल कॉर्नेल मेडिसिन (Weill Cornell Medicine) ने मानव कोशिका (human cells) में इंसुलिन उत्पादन करने के लिए जरूरी बदलाव करने में सफलता हासिल की है।

क्या है इंसुलिन?


इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन होता है, जो शरीर के अंदर प्राकृतिक रूप से बनता है। यह ब्लड में मिलकर ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करने का काम करता है। लेकिन हममें से ज्यादातर लोग इंसुलिन के बारे में डायबिटीज जैसे खतरनाक रोग के कारण जानते हैं। क्योंकि अगर शरीर के अंदर इंसुलिन का उत्पादन ठीक से ना हो या यह अपना काम ठीक से ना कर पाए तो हम शुगर के पेशंट बन सकते हैं। परंरापगत तरीके से डायबिटीज के इलाज में शरीर में इंसुलिन बाहर से इंजेक्ट किया जाता है। लेकिन आमतौर पर यह तरीका काफी मुश्किल भरा होता है। कई बार इससे दूसरी परेशानियां खड़ी हो जाती हैँ। ऐसे में इस रिसर्च से डायबिटीज के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है।

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स्टेम सेल से बनेगा बीटा सेल्स

वेल कॉर्नेल मेडिसिन (Weill Cornell Medicine) न्यूयॉर्क के एसोसिएट प्रोफेसर जो झोऊ (Joe Zhou) का कहना है कि मानव के पेट में हार्मेन का स्राव करने वाले सेल (कोशिकाएं) होती हैं। ये पेट की कोशिकाएं और पैंक्रीएटिक कोशिकाएं (pancreatic cells) भ्रूण के विकसित होने में एक जैसी और आसपास ही होती हैं। इनका स्वरूप भी काफी मिलता जुलता है। ऐसे में गैस्ट्रिक स्टेम सेल (gastric stem Cell) को आसानी से बीटा लाइक इंसुलिन (beta-like insulin) बनाने वाली कोशिकाओं में बदला जा सकता है।

यह सफलता डायबिटीज के इलाज में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे मरीज को इंजेक्शन के जरिए इंसलिन लेने से छुटकारा मिल सकता है। यही नहीं अगर यह रिसर्च पूरी तरह से सफल रहती है तो इससे डायबिटीज के कारणों के निदान में भी मदद मिलेगी। यह डायबिटीज के इलाज के लिए टिकाऊ और बेहतर समाधान साबित होगा।

क्या है टाइप 1 डायबिटीज

डायबिटीज दो तरह की होती है। जिन्हें हम टाइप 1 और टाइप 2 कहते हैं। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इस बीमारी में शरीर ठीक से इंसुलिन नही बना सकता है। इसकी वजह ये है कि रक्षा करने वाली सेल्स पैंक्रियाज में इंसुलिन को बनाने वाली सेल्स को नुकसान पहुंचाती है। इस तरह का डायबिटीज ज्यादातर युवा बच्चों में पाया जाता है।

क्या है टाइप 2 डायबिटीज

इसमें डायबिटीज वाले रोगी को शरीर को समान्य रखने के लिए ज्यादा इंसुलिन की आवश्कता होती है। ज्यादा उत्पादन के बाद पैंक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली सेल्स जल जाती है। यह डायबिटीज किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। इंसुलिन के जरिए पहुंचाई गई शुगर से ही सेल्स को एनर्जी मिलती है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को इंसुलिन की ज्यादा खुराक दी जाती है। इंजेक्शन के के जरिए इंसुलिन की कमी को पूरा किया जाता है।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

First Published: Jun 07, 2023 10:25 AM

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