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Ganesh Chaturthi 2023: ये हैं मुंबई के मशहूर मूर्तिकार, यहां बनती हैं लाल बाग के राजा समेत अन्य मूर्तियां

Ganesh Chaturthi 2023: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में गणपति बनाने वाले मूर्तिकारों के पास भी लंबी लाइन लगी हुई है। हर जगह मूर्ति बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। लोग अभी से ही अपनी मूर्ति की बुकिंग कर रहे हैं। मुंबई में लाल बाग के राज की मूर्ति बनाने वाले लोग पिछली कई पीढ़ियों से यह काम कर रहे हैं

Jitendra Singhअपडेटेड Sep 07, 2023 पर 1:36 PM
Ganesh Chaturthi 2023: ये हैं मुंबई के मशहूर मूर्तिकार, यहां बनती हैं लाल बाग के राजा समेत अन्य मूर्तियां
Ganesh Chaturthi 2023: महाराष्ट्र में गणपति के महोत्सव की धूम सबसे ज्यादा रहती है।

Ganesh Chaturthi 2023: देश भर में गणपति का दरबार जल्द ही सजने वाला है। लोग अभी से ही अपनी मूर्तियों की बुकिंग करने लगे हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में मूर्ति बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। बहुत से मंडल अपनी मूर्तियां बुक भी कर चुके हैं। जिस शहर में गजानन जी की धूमधाम से आराधना हो। वहां सुख-समृद्धि और लक्ष्मी की कृपा तो रहेगी। गणेशोत्सव के दौरान हजारों चमकते-दमकते पांडालों के बीच एक नाम जो है वो पिछले कुछ सालों से मुंबई का पर्याय बन चुका है और वो है ‘लालबाग के राजा’। कांबली परिवार पिछले कई पीढ़ियों से लाल बाग के राजा मूर्ति बना रहे हैं।

यूं तो मुंबई में हजारों कलाकार हैं, जो गणपति की मूर्तियां बनाते हैं। लेकिन उन सब में अलग पहचान रखने वाले भी कई कलाकार हैं। विजय खातू, कांबली परिवार, परेल वर्क्स कुछ ऐसे बड़े मूर्तिकार है, जो पिछले कई सालों से गजानान के कई तरह के आकार की मूर्तियां बना रहे हैं।

जानिए लाल बाग के राजा की मूर्ति कौन बनाते हैं

लालबाग का दरबार सजाने वाले सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना साल 1934 में हुई थी। 1934 से लेकर अब तक हर साल स्थापित होने वाली गणेशी जी की प्रतिमा कांबली परिवार (Kambli family) के ही मूर्तिकार बना रहे हैं। वो इसके स्थापना के समय से ही जुड़े हुए हैं। कांबली फैमिली ने लालबाग के राजा के डिजाइन को पेटेंट करवा रखा है। मूर्ति निर्माण का काम पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रहा है। गणपति की इस प्रतिमा की एक और खासियत यह है कि इसे बाहर से नहीं खरीदा जाता है। बल्कि प्रतिमा वहीं बनाई जाती हैं, जहां पर वो स्थापित होती है। यहां मूर्ति हर साल तकरीबन 14 से 20 फीट ऊंची होती है। यहां चढ़ावा भी खूब आता है। इनकी मूर्तियों की डिमांड इंडोनेशिया समेत देश दुनिया के अन्य हिस्सों में भी होती है।

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