Guillain Barre Syndrome: महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) वायरस से पहली मौत की खबर सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र के स्वास्थ विभाग ने बताया कि ये मौत सोलापुर में हुई है। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने सोमवार (27 जनवरी) को पीटीआई को बताया कि सोलापुर में उस व्यक्ति की मौत हो गई जिसके तंत्रिका संबंधी विकार गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित होने का संदेह था। महाराष्ट्र में अब तक गिलियन-बैरे सिंड्रोम के 101 मामले सामने आए हैं। इनमें से 81 मरीज पुणे से, 14 पिंपरी चिंचवाड़ एमसी से और 6 अन्य जिलों से हैं। पुणे इस वायरस का केंद्र है।
एक अधिकारी ने विस्तार से जानकारी दिए बिना बताया कि सोलापुर का रहने वाला यह व्यक्ति पुणे आया था। ऐसा संदेह है कि वह पुणे में संक्रमित हुआ। उन्होंने बताया कि सोलापुर में उसकी मौत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक पुणे में GBS के 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा, "पुणे में जीबीएस के कुल मामलों की संख्या बढ़कर रविवार को 101 हो गई। संक्रमित लोगों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। सोलापुर में एक व्यक्ति की मौत की सूचना मिली है जिसके संक्रमित होने का संदेह था।"
इस बीच, त्वरित प्रतिक्रिया दल (आरआरटी) और पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रभावित सिंहगढ़ रोड के इलाकों में संक्रमण के मामलों पर नजर रखे हुए हैं। अधिकारी ने बताया कि अब तक कुल 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया गया है। इनमें पुणे नगर निगम सीमा में आने वाले 15,761 घर, चिंचवड नगर निगम सीमा में आने वाले 3,719 घर और जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाले 6,098 घर शामिल हैं।
क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम?
जीबीएस यानी गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ वायरस है। इसमें शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि आम तौर पर जीवाणु और वायरल संक्रमण जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं।
जीबीएस आमतौर पर एक बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद होता है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिका पर हमला कर देती है, जिससे कमजोरी, लकवा या कभी-कभी मौत भी हो सकती है। एम्स की न्यूरोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि जीबीएस अचानक शुरू होता है। यह अक्सर किसी संक्रमण के बाद होता है। यह आमतौर पर कैम्पिलोबैक्टर के कारण होने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण के बाद देखा जाता है।
जीबीएस में पैर से लकवा शुरू होकर सांस की समस्या तक पहुंच सकता है। कई मरीज वेंटिलेटर पर चले जाते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने 21 जीबीएस सैंपल में नोरोवायरस और कैम्पिलोबैक्टर जेजूनी बैक्टीरिया पाया। ये दोनों ही दस्त, उल्टी और पेट की गड़बड़ी जैसे लक्षण पैदा करते हैं। पुणे के कई मरीजों में जीबीएस से पहले ये लक्षण दिखे थे।
शहर के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अंशु रोहतगी ने आईएएनएस से बताया, "नोरोवायरस जीबीएस को ट्रिगर कर सकता है। यह वायरस गैस्ट्रोएंटेराइटिस (पेट की खराबी) के मामलों का मुख्य कारण है। किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है और यह जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। जीबीएस का कोई स्थायी इलाज नहीं है। इसके लक्षण जैसे पैरों में कमजोरी, झनझनाहट या सुन्नपन हाथों तक फैल सकते हैं। लक्षण हफ्तों तक रह सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में लंबे समय तक असर रह सकता है।"