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Indian Railways: देश के इस रूट पर चलती है “कैंसर एक्सप्रेस”, सैकड़ों मरीज रोजाना करते हैं सफर

Cancer Express in Punjab: दुनिया भर में कैंसर बहुत तेजी से फैल रहा है। इस बीच पंजाब में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज इलाज के लिए ट्रेन से राजस्थान के बीकानेर जाते हैं। इस ट्रेन का नाम जम्मू-अहमदाबाद एक्सप्रेस है। यह ट्रेन जम्मू तवी और अहमदाबाद के बीच चलती है। लेकिन यह ट्रेन अपने वास्तविक नाम से कम बल्कि कैंसर एक्सप्रेस के नाम से मशहूर है

Jitendra Singhअपडेटेड Aug 05, 2024 पर 3:22 PM
Indian Railways: देश के इस रूट पर चलती है “कैंसर एक्सप्रेस”, सैकड़ों मरीज रोजाना करते हैं सफर
Cancer Express in Punjab: पंजाब का मालवा क्षेत्र कैंसर बेल्‍ट के रूप में पहचाना जाता है। खराब पानी की वजह से यहां हजारों लोग कैंसर की चपेट में हैं।

पंजाब का मालवा क्षेत्र कैंसर का गढ़ बन गया है। यहां के दूषित पानी की वजह से हजारों की आबादी कैंसर की चपेट में हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग रोजाना इलाज के लिए राजस्थान, चंडीगढ़ और दिल्ली जाने को मजबूर हैं। यहां के ज्यादातर लोग राजस्थान के बीकानेर में इलाज के लिए जाते हैं। ये लोग जिस ट्रेन से सफर करते हैं। उसका वास्तविक नाम जम्मू तवी-अहमदाबाद एक्सप्रेस है। लेकिन यह ट्रेन “कैंसर एक्सप्रेस” के नाम से मशहूर है। लोग इस ट्रेन को वास्तविक नाम से बहुत कम जानते हैं। यह ट्रेन जम्मू तवी और अहमदाबाद के बीच चलती है।

पंजाब के मालवा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई बड़े स्वास्थ्य संस्थान खोलने की घोषणाएं हुई हैं। लेकिन हालात ये हैं कि कई प्रोजेक्ट्स घोषणाओं के बावजूद सरकारी फाइलों की धूल फांक रहे हैं। बेहतर अस्पताल नहीं होने की वजह से आमतौर पर यहां के लोग इलाज के लिए राजस्थान के बीकानेर का रूख करते हैं। इसके बाद इस रूट पर चलने वाली ट्रेनें हमेशा ठसाठस भरी रहती हैं।

पंजाब में चलती है कैंसर एक्सप्रेस

दरअसल, जम्मू तवी-अहमदाबाद एक्सप्रेस रोजाना जम्मू से चलकर रात 9 बजे पंजाब के बठिंडा पहुंचती है। यह इलाका पंजाब के मालवा क्षेत्र में आता है। यह ट्रेन बठिंडा में सिर्फ 5 मिनट रुकती है। इसके बाद सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज सवार होते हैं। कैंसर के मरीजों से यह ट्रेन ठसाठस भरी होती है। कैंसर के मरीज अधिक होने के कारण लोग इसका वास्तविक नाम भूल गए हैं और इसे कैंसर एक्सप्रेस के नाम से जानते हैं। सैकड़ों कैंसर से पीड़ित मरीज अपनी पीड़ा लेकर इस ट्रेन में सफर करते हैं। वो इस ट्रेन में बीकानेर के आचार्य तुलसी कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र में पहुंचते हैं। इस ट्रेन में 70 फीसदी यात्री कैंसर पीड़ित ही होते हैं। सीट न मिलने पर फर्श पर ही लोग सफर करते हैं।

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