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Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेले का आज आखिरी दिन, जानें अगला कुंभ मेला कब और कहां लगेगा

Prayagraj Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है। यह 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है। यह देश के 4 जगहों पर ही लगता है। जिसमें उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज शामिल है। महाकुंभ में दूर-दराज से लोग आते हैं और आस्था की डुबकी लगाते हैं। आइये जानते हैं अगला कुंभ मेला कब और कहां लगेगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 26, 2025 पर 11:20 AM
Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेले का आज आखिरी दिन, जानें अगला कुंभ मेला कब और कहां लगेगा
Prayagraj Mahakumbh 2025: कुंभ मेला 2027 का आयोजन उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा तट पर लगेगा।

महाकुंभ मेला भारत में सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। इसमें देश विदेश से करोड़ों लोग शामिल होते हैं। साल 2025 में महाकुंभ मेला प्रयागराज में चल रहा है। आज इसका आखिरी दिन है। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। कहा जाता है कि इसमें एक बार स्नान करने से भक्तों के सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका आयोजन विशेष रूप से चार प्रमुख स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है। प्रयागराज के बाद अगला कुंभ उत्तराखंड के हरिद्वार में लगेगा। यह कुंभ मेला साल 2027 में आयोजित किया जाएगा।

बता दें कि कुंभ मेला हर तीन साल में एक एक बार उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में आयोजित होता है। अर्ध कुंभ मेला 6 साल में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज के तट पर लगता है। वहीं पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, जो प्रयागराज में होता है। 12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। इससे पहले महाकुंभ प्रयाराज में साल 2013 में आयोजित हुआ था।

अगला कुंभ मेला हरिद्वार में लगेगा

प्रयाग के इस महाकुंभ के समापन के बाद अब अगला महाकुंभ हरिद्वार में गंगा तट पर लगेगा। यह कुंभ मेला ठीक 2 साल बाद 2027 में लगेगा और इसे अर्धकुंभ 2027 के नाम से जाना जाएगा। इसे लेकर आज से ही उत्तराखंड सरकार ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। सरकार के आदेश पर हरिद्वार के सरकारी अधिकारियों ने ‘अर्धकुंभ 2027’ की तैयारियों के संबंध में बैठक की। इस मौके पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया कि साल 2027 में उत्तराखंड में कुंभ का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका बेहतर तरीके से आयोजन किया जाएगा। उन्होंने सावधानीपूर्वक योजना बनाने के लिए संतों और धार्मिक संगठनों के साथ सलाह पर जोर दिया।

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