Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 288 यात्रियों की मौत हो चुकी है। वहीं, करीब 1,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। ये 21वीं सदी में भारत में हुआ सबसे भीषण ट्रेन हादसा है। अब रेलवे के सामने सबसे बड़ी समस्या शवों की शिनाख्त करना है। रेल हादसे में गंभीर रूप से घायलों और मृतकों की शिनाख्त पुलिस, प्रशासन और रेलवे के लिए परेशानी बन गई है। बताया जा रहा है कि जान गंवाने वालों में करीब 205 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जबकि शेष की तलाश होना बाकी है। रिपोट के मुताबिक, बाकी मृतकों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है। इन परिजनों तक सूचना पहुंचाने के लिए रेलवे कई तरह के प्रयास कर रही है।
एक व्यक्ति ने रेल हादसे में जान गंवा चुके अपने भतीजे के शव की शिनाख्त कर ली। लेकिन उसके शव पर 5 और लोग दावा कर रहे हैं कि वह उनका रिश्तेदार है। आलम ये है कि लोग अपने रिश्तेदारों की तलाश में अब DNA टेस्ट का सहारा ले रहे हैं। मोहम्मद इनाम उल हक ने बताया कि उनके दो भतीजों और भाई की ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी। वह पिछले चार दिनों से यहां चक्कर काट रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमें आज AIIMS में एक भतीजे की शव तो मिल गई है, लेकिन उस पर पांच और लोगों ने दावा किया है वह उनका रिश्तेदार है।
मोहम्मद इनाम उल हक ने बताया कि मेरा एक भतीजा है। जिसकी हमने पहचान तो कर ली है, लेकिन पांच और दावेदार हैं जो कह रहे हैं कि यह उनका रिश्तेदार है। इसलिए उसके शव का DNA टेस्ट कराया जाएगा। यहां जिम्मेदार लोग कह रहे हैं कि जिससे उसका डीएनए टेस्ट होगा उसी को बॉडी मिलेगी। उन्होंने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि हमारे पास यह पता लगाने के लिए DNA टेस्ट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है कि यह किसकी बॉडी है।
संदिग्ध मामलों में DNA सैंपल लेना शुरू
ओडिशा सरकार ने शवों की पहचान को प्रमाणित करने और फर्जी दावेदारों से बचने के लिए कुछ संदिग्ध मामलों में शवों को वास्तविक रिश्तेदारों को सौंपने से पहले डीएनए सैंपल लेना शुरू कर दिया है। बिहार के भागलपुर के दो अलग-अलग परिवारों द्वारा एक शव को अपने रिश्तेदार होने का दावा करने के बाद यह निर्णय लिया गया। शव के क्षत-विक्षत अवस्था में होने के कारण उसकी पहचान कर पाना मुश्किल था।
राज्य सरकार यह तय करने में असमर्थ हो गई कि शव किसे सौंपा जाए, जिसके बाद उसने दावेदारों का डीएनए सैंपल लेने और ऐसे संदिग्ध मामलों में इसे एक सामान्य प्रक्रिया बनाने का फैसला किया। एक अधिकारी ने बताया कि डीएनए का मिलान होने पर ही हम शव सौंपेंगे। हमें संदेह है कि रेलवे और संबंधित राज्य सरकारों से मिलने वाले मुआवजे के कारण कुछ लोग शवों पर झूठे दावे कर सकते हैं।