बचपन में सिर से पिता का साया हट जाने की कल्पना की जा सकती है। रिजवान साजन (Rizwan Sajan) सिर्फ 16 साल के थे, जब उनके पिता का निधन हुआ। उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने गलियों में घूमकर छोटी-छोटी चीजें बेचनी शुरू कर दी। फिर, किताबों से लेकर स्टेशनरी बेचने का काम शुरू किया। शाम में अतिरिक्त कमाई के लिए घर-घर दूध पहुंचाना शुरू किया। इस दौरान उनके चाचा की मदद उन्हें मिलती रही। 18 साल के होने पर चाचा ने उन्हें कुवैत में एक नौकरी दिलाई। यह बात 1981 की है। रिजवान ने हर 18,000 रुपये सैलरी पर सेल्स ट्रेनी के रूप में काम करना शुरू कर दिया।