साल भर में 16 दिन पूर्वजों के लिए भी समर्पित हैं। इन्हें पितृपक्ष कहते हैं। पितृ पक्ष में यमराज पूर्वजों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं। ताकि वह अपने परिवार से तर्पण, पिंडदान, ग्रहण कर सकें। इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से 02 अक्टूबर तक रहेंगे। हिंदू शास्त्र के मुताबिक इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। सिर्फ पितरों का श्राद्ध किया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए पितृ पक्ष की पूजा यानी श्राद्ध का विशेष महत्व है। श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है। जिसका अर्थ है पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना। शास्त्रों के अनुसार, समय-समय पर श्राद्ध करने से वंश आगे बढ़ता है।