Tamil Nadu Language Row : तमिलनाडु 85 साल से कर रहा हिंदी का विरोध, जानिए भाषा विवाद की असली कहानी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई वाले पैनल की सिफारिश से तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भाषा पर फिर से विवाद छिड़ गया है। इन दोनों राज्यों ने पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर ऐसी किसी सिफारिश को लागू करने का विरोध किया है

अपडेटेड Oct 18, 2022 पर 3:32 PM
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) जल्द केंद्र सरकार के “गैर हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने” की कथित कोशिशों के विरोध में राज्य विधानसभा में एक रिजॉल्युशन पेश कर सकते हैं

Tamil Nadu Language Row : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) बुधवार, 18 अक्टूबर को केंद्र सरकार के “गैर हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने” की कथित कोशिशों के विरोध में राज्य विधानसभा में एक रिजॉल्युशन पेश कर सकते हैं। दरअसल एक संसदीय पैनल ने केंद्रीय संस्थानों में हिंदी को दिशानिर्देशों की भाषा बनाने की सिफारिश की है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई वाले पैनल की सिफारिश से तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भाषा पर फिर से विवाद छिड़ गया है। इन दोनों राज्यों ने पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर ऐसी किसी सिफारिश को लागू करने का विरोध किया है। यह विवाद लोकसभा चुनाव, 2024 से दो साल पहले छिड़ा है। न्यूज 18 ने तमिलनाडु के द्वारा 1930 के दशक से जारी हिंदी विरोध की तह में जाने की कोशिश की है।

साल दर साल ऐसे हुआ विरोध


1937: तमिलनाडु में हिंदू विरोधी सेंटीमेंट और आंदोलन की जड़े आजादी से पहले की हैं। 1930 के दशक के आखिर में, मद्रास पेसिडेंसी में विरोध हुआ जब सी राजागोपालाचारी की अगुआई वाला कांग्रेस सरकार ने स्कूलों में हिंदी को भाषा के रूप में पेश करने की कोशिश की। जस्टिस पार्टी के ईवी रामास्वामी ने इसका विरोध किया और यह आंदोलन तीन साल तक चला।

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1946-1950: हिंदी विरोधी आंदोलन का दूसरा दौर 1946-1950 के दौरान चला, जब सरकार ने स्कूलों में फिर से हिंदी लाने की कोशिश की। एक समझौते के तहत हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने का फैसला किया गया।

1953: डीएमके ने कल्लूकुडी का नाम डालमियापुरम (उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया के नाम पर) करने का विरोध किया। आरोप था कि इससे “उत्तर द्वारा दक्षिण के शोषण” की झलक मिलती है।

1959: तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद को भरोसा दिलाया कि गैर हिंदी भाषी राज्य फैसला ले सकते हैं कि अंग्रेजी कब तक उनकी आधिकारिक भाषा रहेगी और हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही देश की प्रशासनिक भाषा बनी रहेंगी।

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1963: Official Languages Act पारित करने के विरोध में अन्नादुरई की अगुआई में डीएमके ने आंदोलन शुरू कर दिया। डीएमके के एक सदस्य खुदकशी कर ली। माहौल बिगड़ता देखकर कांग्रेस के मुख्यमंत्री एम भक्तवाचलाम ने तीन भाषाओं- अंग्रेजी, तमिल और हिंदी का फॉर्मूला पेश किया।

1965: हिंदी को एक मात्र आधिकारिक भाषा बनाने के विरोध में तमिलनाडु में फिर से एक बड़ा हिंदी विरोधी आंदोलन शुरू हो गया। मदुरई में स्टूडेंट्स और कांग्रेस कैडर के बीच तगड़ा संघर्ष हुआ, दंगे होने लगे। कांग्रेस सरकार ने विरोध को कानून व्यवस्था की समस्या माना। राज्य सरकार के मुताबिक, लगभग 70 लोग मारे गए।

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सरकार के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में शास्त्री को नेहरू का अंग्रेजी में अंतर राज्यीय संवाद और सिविल सेवा परीक्षाओं को जारी रखने का आश्वासन दोहराना पड़ा।

1967: पीएम इंदिरा गांधी ने Official Language Act, 1967 में संशोधन के जरिये 1959 के नेहरू के आश्वासन को सुरक्षा दे दी। 1967 में राज्य में हार के साथ कांग्रेस की सरकार चली गई।

स्टालिन ने पीएम मोदी का लिखा लेटर

हाल में, इस मसले पर तमिलनाडु सीएम स्टालिन ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा कि उन पर हिंदी को थोपने का प्रयास किया जा रहा है, जो अव्यावहारिक है। स्टालिन ने हिंदी को बढ़ावा देने को विभाजनकारी बताया हैं। आपकी यह कोशिश गैर हिंदी भाषा वाले लोगों को कई मायनों में नुकसान पहुंचाने वाली हैं। यह तमिलनाडु ही नहीं बल्कि कई राज्य को आपके इस कदम को स्वीकार नहीं करते।

तमिल भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

सीएम स्टालिन ने कहा कि वैज्ञानिक रूप से तकनीकी सुविधाओं को ध्यान रखते हुए गैर हिंदी भाषाओं पर ध्यान देकर उन्हें बढ़ावा देना चाहिए। स्टालिन ने कहा कि गैर हिंदी बोलने वाले लोगों को भी रोजगार के समान अवसर मिलने चाहिए। स्टालिन ने पत्र में पीएम मोदी ने तमिल भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया।

Mohit Parashar

Mohit Parashar

First Published: Oct 18, 2022 3:29 PM

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