R Praggnanandhaa: महज 18 साल की उम्र में चेस वर्ल्ड कप के फाइनल में एंट्री करने वाले प्रज्ञानानंदा कौन हैं?

R Praggnanandhaa: प्रज्ञानानंदा ने टाई-ब्रेक्स में फेबियानो कारूआना को 3.5-2.5 से मात दी। साल 2005 में नॉकआउट फॉर्मेट शुरू होने के बाद से प्रज्ञानानंदा चेस वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चेस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में जीत पर ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा को सोमवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक भारतीय उनके लिए जयकारे लगा रहे हैं

अपडेटेड Aug 22, 2023 पर 3:34 PM
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R Praggnanandhaa: फाइनल में प्रज्ञानानंदा का मुकाबला दुनिया के नंबर वन चेस खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन से होगा

Chess World Cup 2023: भारत के युवा ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा (R Praggnanandhaa) ने अजरबैजान के बाकू में चल रहे फिडे चेस वर्ल्ड कप (FIDE Chess World Cup) सेमीफाइनल के टाईब्रेक में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी अमेरिका के ग्रैंडमास्टर फेबियानो कारूआना (Fabiano Caruana) को हराकर फाइनल (Chess World Cup final) में एंट्री कर ली है। 18 साल के प्रज्ञानानंदा का अब फाइनल में दुनिया के नंबर वन चेस खिलाड़ी नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) से मुकाबला होगा।

प्रज्ञानानंदा ने टाई-ब्रेक्स में फेबियानो कारूआना को 3.5-2.5 से मात दी। साल 2005 में नॉकआउट फॉर्मेट शुरू होने के बाद से प्रज्ञानानंदा चेस वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चेस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में जीत पर ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा को सोमवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक भारतीय उनके लिए जयकारे लगा रहे हैं। राहुल गांधी के अलावा कई अन्य दिग्गजों ने उन्हें फाइनल के लिए शुभकामनाएं दी।

प्रज्ञानानंदा ने फाइनल में जगह बनाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुझे इस टूर्नामेंट में मैग्नस कार्लसन से खेलने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि मैं उनसे केवल फाइनल में ही खेल सकता था। उन्होंने कहा कि मुझे फाइनल में पहुंचने की उम्मीद नहीं थी। मैं अब फाइनल में बस अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा और देखूंगा कि क्या होता है। प्रज्ञानानंदा के लिए पूरा भारत दुआ कर रहा है।


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कौन हैं प्रज्ञानानंदा?

प्रज्ञानानंदा तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के रहने वाले हैं। प्रज्ञानानंदा जब महज दो साल के थे तभी उन्हें चेस की दुनिया में जाने की प्रेरणा महिला ग्रैंडमास्टर उनकी बड़ी बहन आर वैशाली (R Vaishali) से मिली। वैशाली 2018 में एक ग्रैंडमास्टर और 2021 में एक अंतरराष्ट्रीय मास्टर के रूप में उभरीं। प्रज्ञानानंदा ने समर्पित ट्रेनिंग के माध्यम से अपने कौशल को निखारा। उन्हें विशेष रूप से ब्लूम चेस अकादमी से काफी सपोर्ट मिला, जहां उन्होंने अपनी कला को निखारा और पूरी डिटेल्स हासिल की।

6 साल की उम्र में शुरू किया खेलना

प्रज्ञानानंदा ने महज 6 साल की उम्र में चेस खेलना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने अंडर -7 भारतीय चैंपियनशिप में दूसरी रैंक हासिल की। फिर उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद अंडर -8 और अंडर -10 दोनों कैटेगरी में वर्ल्ड युवा चेस चैंपियनशिप में अपना दबदबा बनाया। शतरंज के प्रतिभाशाली खिलाड़ी प्रज्ञानानंदा जल्द ही 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर बन गए। ऐसा करने वाले वह उस समय के सबसे कम उम्र के थे और 12 साल से कम उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाले दूसरे खिलाड़ी थे।

2013 में रचा इतिहास

2005 में चेन्नई में एक बैंक मैनेजर के घर जन्मे प्रज्ञानानंदा पहली बार तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने 2013 में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप (World Youth Chess Championship) अंडर -8 का खिताब जीता। इसके बाद उन्होंने 2015 में अंडर -10 कैटेगरी में भी जीत हासिल कर खिताब अपने नाम कर लिया। प्रज्ञानानंदा ने हर आयु वर्ग में अपने प्रदर्शन में सफलता हासिल की।

खिताब के साथ जीता लोगों का दिल

प्रज्ञानानंदा दुनिया भर में खिताब के साथ दिल भी जीतते रहे। वह 2016 में 10 साल, 10 महीने और 19 दिन की उम्र में इतिहास में सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय मास्टर बन गए। इसके बाद नवंबर 2017 में वर्ल्ड जूनियर चेस चैंपियनशिप में अपना पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल किया। इस दौरान वह 8 अंकों के साथ चौथे स्थान पर रहे।

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वह अभिमन्यु मिश्रा, सर्गेई कारजाकिन, गुकेश डी और जावोखिर सिंदारोव के बाद ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने वाले पांचवें सबसे कम उम्र के चेस खिलाड़ी हैं। प्रज्ञानानंदा को 2018 में स्पेन में मैजिस्ट्रल डी लियोन मास्टर्स में वेस्ले सो के खिलाफ चार गेम के रैपिड मैच के लिए आमंत्रित होने का सौभाग्य मिला, जिसमें उन्होंने उन्हें 2½-1½ के स्कोर से हराया।

अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित

राष्ट्रपति भवन में आयोजित राष्ट्रीय खेल और साहसिक पुरस्कार 2022 समारोह में उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया। उनकी प्रमुख उपलब्धियों की बात करें तो 44वें शतरंज ओलंपियाड 2022 में कांस्य पदक और FIDE ऑनलाइन ओलंपियाड, 2020 में गोल्ड मेडल शामिल हैं।

Akhilesh

Akhilesh

First Published: Aug 22, 2023 3:28 PM

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