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Nihang Sikh: कभी सुनाए जाते थे गुरु की इस फौज के बहादुरी के किस्से, आज विवादों से क्यों घिरे हैं निहंग

सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर बेरहमी से कई हत्या का आरोप निहंग सिखों (Nihang Sikhs) के एक समूह पर है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 15, 2021 पर 7:55 PM
Nihang Sikh: कभी सुनाए जाते थे गुरु की इस फौज के बहादुरी के किस्से, आज विवादों से क्यों घिरे हैं निहंग

सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन से शुक्रवार सुबह एक बेहद ही दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां धरना स्थल पर एक शव उलटे खड़े पुलिस बैरिकेड से बंधा हुआ मिला। साथ ही उसका उल्टा हाथ भी कटा हुआ था, जिसे शव के साथ ही लटकाया हुआ था और उसका टखना और पैर टूटा हुआ था। दिन बढ़ते-बढ़ते ये खबर आग की तरह फैल गई। अब जाकर सामने आया है कि इस हत्या का आरोप निहंग सिखों के एक समूह पर है। "गुरु की फौज" कहे जाने वाले निहंग सिख, जिनके कभी बहादुरी की किस्से सुनाए जाते थे, वह इन दिनों विवादों के कारण चर्चा में हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और फुटेज में निहंग सिखों का एक समूह इस हत्या की जिम्मेदारी भी ले रहा है। खुद संयुक्त किसान मोर्चा ने भी ये बात मानी है कि निहंग सिखों के एक समूह ने इसकी जिम्मेदारी ली है। अब सवाल ये उठता है कि सिख समुदाय की इतनी बहादुर फौज, अब इतने विवादों और गलत कामों की वजह से चर्चा में क्यों है? इसके लिए एक बार अतीत पर भी नजर डालनी होगी।

कौन है निहंग?

निहंग सिख पुराने सिख योद्धाओं से निकला एक समूह है। जो ज्यादातर नीले कपड़े पहनते हैं, साथ में हमेशा तलवार और भाले जैसे प्राचीन हथियार लेकर चलते हैं। इनकी पगड़ी में अर्धचंद्राकार, दोधारी तलवार वाले बैज होते हैं। ये आम सिखों से एकदम अलग दिखते हैं और अलग ही तरह का जीवन जीते हैं।

सिख इतिहासकार डॉ. बलवंत सिंह ढिल्लों के अनुसार, "फारसी में निहंग शब्द का अर्थ मगरमच्छ, तलवार और कलम है, लेकिन निहंगों की विशेषताएं संस्कृत शब्द निहशंक से ज्यादा उपजी लगती हैं, जिसका अर्थ है निर्भय, निष्कलंक, शुद्ध, लापरवाह और सांसारिक लाभ और आराम को त्यागने वाला।"

ढिल्लों का कहना है कि इस समूह का पता 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा के निर्माण से लगाया जा सकता है। वह कहते हैं कि निहंग शब्द, गुरु ग्रंथ साहिब के एक भजन में भी आता है, जहां इसे एक निडर व्यक्ति बताया गया है।

ढिल्लों के मुताबिक, "हालांकि कुछ स्रोत ऐसे हैं, जो गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बेटे, फतेह सिंह (1699-1705) की उत्पत्ति से निहंगों का संबंध बताते हैं, फतेह सिंह एक बार नीले रंग का चोला और एक डुमाला के साथ नीली पगड़ी (एक पंख बनाने वाले कपड़े का टुकड़ा)  पहने हुए गुरु की उपस्थिति में प्रकट हुए थे… अपने बेटे को इतना प्रतापी देखकर गुरु ने कहा कि यह खालसा के बेपरवाह सैनिकों निहंगों की पोशाक होगी।"

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