मीशो, एक्वस और विद्या वायर्स के आईपीओ 3 दिसंबर को खुलेंगे। ग्रे मार्केट के संकेत के आधार पर मीशो और एक्वस की लिस्टिंग जोरदार रह सकती है। विद्या वायर्स की लिस्टिंग भी अच्छी रहने की उम्मीद है। इन तीनों आईपीओ में 5 दिसंबर तक इनवेस्ट किया जा सकता है। 8 दिसंबर को शेयरों का एलॉटमेंट हो जाने की उम्मीद है। तीनों कंपनियों के शेयर 10 दिसंबर को लिस्ट होंगे। सवाल है कि इन तीनों में से किस आईपीओ में निवेश करने पर सबसे ज्यादा मुनाफा होगा?
छोटे शहरों के ग्राहकों में मीशो की अच्छी पैठ
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के चीफ रिसर्च अफसर रवि सिंह का कहना है कि Meesho की ग्रोथ अच्छी है। कैश फ्लो स्ट्रॉन्ग है। उन्होंने कहा, "मीशो की ग्रोथ दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियों से इसलिए अलग है क्योंकि इसकी पहुंच देश के उन इलाकों तक में है, जहां दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियों की पैठ नहीं है।" कंपनी के प्लेटफॉर्म पर फर्स्ट टाइम ऑनलाइन बायर्स दिलचस्पी दिखाते हैं, जो ज्यादातर छोटे शहरों के हैं। उनका फोकस ब्रांड से ज्यादा प्रोडक्ट्स की कीमतों पर होता है।
मीशो की वैल्यूएशन करीब 50000 करोड़
सिंह का कहना है कि इनवेस्टर्स मीशो के आईपीओ पर लंबी अवधि में रिटर्न की उम्मीद के साथ इनवेस्ट कर सकते हैं। मीशो के बिजनेस में प्रॉफिट दिख सकता है, लेकिन इसमें वक्त लगेगा। ब्रोकरेज फर्म एंजल वन ने भी इस आईपीओ में लंबी अवधि के लिहाज से निवेश करने की सलाह दी है। उसने कहा है कि प्राइस बैंड के 111 रुपये के ऊपरी लेवल पर मीशो की वैल्यूएशन करीब 50,096 करोड़ रुपये है। कंपनी अभी लॉस में है, जिससे इसका P/E निगेटिव है।
एक्वस एयरबस, बोइंग और Safran को करती है सप्लाई
एक्वस का आईपीओ 992 करोड़ रुपये का है। इनवेस्टरगेन के मुताबिक, इसके शेयरों का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) करीब 36 फीसदी है। ब्रोकरेज फर्म बोनांजा के अभिनव तिवारी ने कहा, "कंपनी एयरोस्पेस प्रिसिजन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ऑपरेट करती है। यह एक सिंगल एसईजेड में वर्टिकली इंटिग्रेटेड एयरोस्पेस कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग में मजबूत स्थिति में है। यह Airbus, Boeing और Safran जैसी ग्लोबल OEM को सप्लाई करती है।"
एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर्स के पास कई दशकों का ऑर्डर
उन्होंने कहा कि कंपनी हाई डिमांड वाली इंडस्ट्री में है, जिसमें एयरक्राफ्ट्स मैन्युफैक्चरर्स के पास आने वाले कई दशकों के ऑर्डर्स हैं। एंजल वन ने एक्वस के शेयरों में निवेश करने की सलाह दी है। लेकिन, उसका कहना है कि इस आईपीओ में सावधानी के साथ लंबी अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है।
विद्या वायर्स के जीएमपी में आई है गिरावट
विद्या वायर्स का आईपीओ 300 करोड़ रुपये का है। ग्रे मार्केट में कंपनी के शेयरों पर करीब 10 फीसदी प्रीमियम चल रहा है। 29 नवंबर को इस शेयर का जीएमपी 19 फीसदी था। एंजल वन ने लंबी अवधि के लिए इस आईपीओ में निवेश करने की सलाह दी है। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्राइस बैंड के 52 रुपये के अपर लेवल पर इश्यू के बाद इसका P/E 22.94 गुना है, जो प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले वाजिब लगता है।
ABB, Siemens और Crompton को सप्लाई
विद्या वायर्स 40 साल पुरानी कॉपर कंडक्टर मैन्युफैक्चरर है, जो प्रॉफिट कमाती है। यह ABB, Siemens और Crompton जैसी कंपनियों को सप्लाई करती है। FY25 में कंपनी के प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्स (PAT) की ग्रोथ 59 फीसदी थी। ROE 25 फीसदी था। पीई 23 गुना है, जो ज्यादा नहीं है।