मीशो का आईपीओ 3 दिसंबर को खुलेगा। इससे पहले ही ग्रे मार्केट में कंपनी के शेयरों पर 38 फीसदी प्रीमियम (जीएमपी) चल रहा है। कंपनी का यह इश्यू 5,421 करोड़ रुपये का है। शेयर का प्राइस बैंड 105-111 रुपये है। प्राइस बैंड के ऊपरी लेवल पर कंपनी की वैल्यूएशन 50,096 करोड़ रुपये है। इस इश्यू में 5 दिसंबर तक निवेश किया जा सकता है।
ग्रे मार्केट में शेयरों की कीमतों पर नजर रखने वाले प्लेटफॉर्म्स के मुताबिक, Meesho के शेयरों में 36-38 फीसदी प्रीमियम पर ट्रेडिंग हो रही है। इनवेस्टरगेन 40 रुपये के जीएमपी की जानकारी दी है। इसका मतलब है कि मीशों के शेयरों की लिस्टिंग से इनवेस्टर्स को 36.04 फीसदी गेंस हो सकता है। आईपीओ वॉच ने शेयर का जीएमपी 37.84 रहने की जानकारी दी है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मीशो के शेयरों के स्ट्रॉन्ग जीएमपी के ये 5 कारण हो सकते हैं:
मीशो टेक्नोलॉजी पर काफी फोकस कर रही है। वह अपने ऑपरेशंस में इनसान का हस्तक्षेप कम से कम रखना चाहती है। कंपनी अपने इंजीनियरिंग वर्कफ्लो के साथ GenAI टूल्स को इंटिग्रेट किया है। इससे कोड जेनरेशन में मदद मिलेगी। डेवलपमेंट स्पीड बढ़ेगा और डिप्लॉयमेंट टाइम में कमी आएगा। कंपनी का मोबाइल अप्लिकेश इंडियन कस्टमर्स के विहेबियर को ध्यान में रख तैयार किया गया है।
3. कोई लिस्टेड प्रतिद्वंद्वी नहीं
एनालिस्ट्स का कहना है कि मीशो का बिजनेस मॉडल ऐसा है, जिससे हाल में लिस्टेड किसी दूसरी कंज्यूमर टेक कंपनीज के साथ इसकी तुलना नहीं की जा सकती। बड़े यूजर स्केल, लो एवरेज ऑर्डर वैल्यू, एसेट लाइट फुलफिलमेंट और एनएमवी-लिंक्ड इकोनॉमिक्स इसे जोमैटो, नायका और मामाअर्थ जैसी दूसरी कंपनियों से अलग करते हैं।
मीशो को FY25 में 3,942 करोड़ रुपये का लॉस हुआ था। इसकी बड़ी वजह एक एक्सेप्शनल आइटम था, जो कंपनी के पब्लिक स्ट्रक्चर की तरफ शिफ्ट होने की वजह से सामने आया था । साथ ही इसमें रिवर्स फ्लिप टैक्स और परक्विजिट टैक्स का भी हाथ था। FY26 की पहली छमाही में कंपनी का लॉस घटकर 700.72 करोड़ रुपये रह गया है।
मीशो एक ऐसा प्लेटफॉर्म ऑपरेट करती है, जो कंज्यूमर्स, सेलर्स, लॉजिस्टिक्स पार्टनर्ल और कंटेंट क्रिएटर्स को कनेक्ट करता है। कंपनी के एमडी और सीईए विदित आत्रेय ने बताया कि कंपनी का फोकस रोजाना लो प्राइसेज ऑफर करने पर होता है। इसमें कंपनी को टेक्नोलॉजी आधारित प्रोसेसेज से मदद मिलती है। जीरो-कमीशन मॉडल की वजह से सेलर्स की फुलफिलमेंट कॉस्ट कम रखने में मदद मिलती है। इससे वे अलग-अलग कैटेगरी में कम प्राइस में प्रोड्क्टस को लिस्ट कराते हैं।