अगर लोकसभा चुनावों के नतीजे नोटा (नॉन ऑफ दी अबव) के पक्ष में आते हैं तो क्या होगा? दरअसल इस मामले में एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में यह मांग की गई थी कि नतीजे नोटा के पक्ष में आने के मद्देनजर ऐसे नियम बनाए जाए कि संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में नतीजों को अमान्य घोषित कर दिया जाए और उस निर्वाचन क्षेत्र में फिर से चुनाव कराए जाएं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने यह खबर दी है।
इस याचिका में यह भी मांग की गई है कि नोटा (NOTA) से कम वोट पाने वाले उम्मीदवार पर अगले पांच साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया जाए। यह भी कि नोटा का प्रचार 'फिक्शनल कैंडिडेट' के रूप में किया जाए। इंडिया में यह प्रावधान है कि अगर वोटर किसी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहता है तो वह नोटा के पक्ष में मतदान कर सकता है। एक तरह से यह वोटर को चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को ईवीएम के जरिए डाले गए सभी वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) से मिलान करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता वाली बेंच ने कहा कि लोकतंत्र का मकसद सभी संस्थानों में सौहार्द और भरोसा बनाना है। फिर बेंच ने इस मसले से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी। इसमें दोबारा बैलेट पेपर से मतदान कराने की भी याचिका शामिल थी।
यह भी पढ़ें: Offers for Voters: फ्री डोसा, बीयर, फूड-फ्लाइट पर डिस्काउंट, फ्री टैक्सी राइड...वोट करने वालों के लिए ऑफर ही ऑफर
दूसरे चरण के मतदान के बीच सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 26 अप्रैल को आया, जब लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है। इस बार लोकसभा के चुनाव सात चरणों में हो रहे हैं। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को था। दूसरे चरण का 26 को है। अंतिम चरण के मतदान 1 जून को होंगे। 4 जून को वोटों की गिनती होगी।