Lok Sabha Polls 2024: मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले और BJP के कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान अब राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक चुनावी रैली में कहा था कि वह शिवराज को दिल्ली (केंद्र) ले जाना चाहते हैं। चौहान 2005 से 2023 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। 24 अप्रैल को मध्य प्रदेश के हरदा में एक रैली में बोलते हुए, पीएम मोदी ने चौहान की तारीफ करते हुए कहा था कि हम दोनों ने पार्टी संगठन और मुख्यमंत्रियों के रूप में एक साथ काम किया है। पीएम मोदी ने रैली में कहा, "जब शिवराज संसद गए थे, तब मैं पार्टी महासचिव के रूप में साथ काम कर रहा था। अब मैं उन्हें एक बार फिर अपने साथ दिल्ली ले जाना चाहता हूं।"
शिवराज सिंह चौहान अपने गढ़ विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा से है, जिन्होंने 1980 और 1984 में आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी की जीत और बाद में उनकी मृत्यु के कारण पैदा हुई सहानुभूति की लहर के दम पर सीट जीती थी। विदिशा लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई और केवल 1980 और 1984 में ही कांग्रेस के कब्जे में गई। चौहान अपना छठा लोकसभा चुनाव विदिशा से लड़ेंगे।
विदिशा सीट का प्रतिनिधित्व दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज बीजेपी नेता करते थे। अपने नाम की घोषणा के बाद चौहान ने कहा था कि यह सीट उन्हें वाजपेयी ने सौंपी थी और यह खुशी की बात है कि उन्हें 20 साल बाद फिर से इसका प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है। चौहान ने उस समय कहा था, ''बीजेपी मेरी मां है, जिसने मुझे सब कुछ दिया है।''
अपने गृह क्षेत्र बुधनी से पहली बार विधायक बनने के बाद चौहान को 1992 के लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने मैदान में उतारा था। उस वक्त मौजूदा सांसद अटल बिहारी वाजपेयी के इस्तीफे के कारण उपचुनाव हुए थे। एक सांसद के रूप में उन्होंने 2004 तक 5 बार विदिशा सीट का प्रतिनिधित्व किया। 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया।
लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार अभियान के दौरान शिवराज सिंह चौहान को पत्नी साधना सिंह संग, एक कप चाय के साथ चाट और समोसे का स्वाद लेते हुए स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के साथ बातचीत करते देखा जा सकता है। वह मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं से मिलने का भी प्रयास करते हैं, जो उनके सपोर्ट बेस का एक बड़ा हिस्सा हैं।
शिवराज के लिए क्या हैं कयास
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक पर्यवेक्षक रशीद किदवई का कहना है कि बीजेपी को अपने वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दबाव में, चौहान को विदिशा सीट से मैदान में उतारने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह एक खुला रहस्य है कि शिवराज की लोकप्रियता की जांच करने की मांग की गई थी, लेकिन RSS और महिला मतदाताओं के दबाव में भाजपा ने एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री को मैदान में उतारने का फैसला किया।
आगे कहा कि चौहान भारी अंतर से जीतने के लिए तैयार हैं। अगर वह राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़े अंतर से जीतते हैं, तो यह चर्चा का एक प्रमुख विषय बन सकता है और इसकी तुलना वाराणसी, गांधीनगर, लखनऊ और अन्य जगहों पर जीत के अंतर से की जाएगी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि चौहान, मोदी-अमित शाह की व्यवस्था में कैसे फिट बैठते हैं।
एक स्थानीय भाजपा नेता के अनुसार, विदिशा लोकसभा का 80 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण है और इसमें ओबीसी का वर्चस्व है। क्षेत्र में चौहान के धाकड़-किरार समुदाय का एक बड़ा हिस्सा और साथ ही 35 प्रतिशत एससी/एसटी शामिल हैं। विदिशा में 19.38 लाख पात्र मतदाताओं में से 10.04 लाख पुरुष और 9.34 लाख महिलाएं हैं।