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Loksabha Election 2024: टीवी की संस्कारी बहू से लोकप्रिय दीदी बनने तक का सफर, अमेठी में अब बदल गया स्मृति ईरानी के प्रचार करने का अंदाज

UP Lok Sabha Election 2024: 2014 की संस्कारी बहू 2024 के चुनाव में बन गई अमेठी की दीदी स्मृति। स्मृति ईरानी (Smriti Irani) अमेठी (Amethi) में अवधि भाषा में कर रही हैं चुनावी प्रचार। 2019 के बाद विकास पर मांग रही हैं वोट। 2024 में फटाफट गिनाती हैं अमेठी में कराए गए काम। इस बार नाम नहीं, काम के दम पर वोट मांग रही हैं स्मृति

MoneyControl Newsअपडेटेड May 17, 2024 पर 2:12 PM
Loksabha Election 2024: टीवी की संस्कारी बहू से लोकप्रिय दीदी बनने तक का सफर, अमेठी में अब बदल गया स्मृति ईरानी के प्रचार करने का अंदाज
Lok Sabha Election 2024: टीवी की संस्कारी बहू से लोकप्रिय दीदी बनने तक अमेठी में स्मृति ईरानी का सफर

एक दशक पहले अमेठी पहुंची सिल्वर स्क्रीन की संस्कारी बहू अमेठी की फायर ब्रांड नेता बन गई हैं। 2014 की संस्कारी बहू स्मृति ईरानी, 2024 के लोकसभा चुनाव में अमेठी की लोकप्रिय दीदी बन गई हैं। स्मृति ईरानी अमेठी में अवधि भाषा में चुनावी प्रचार कर रही हैं। स्मृति इस बार नाम नहीं, काम के दम पर वोट मांग रही हैं। 2019 के बाद वे विकास पर वोट मांग रही हैं और सिलसिलेवार ढंग से अपने कराए काम गिना रही हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में अमेठी की सियासत में, जब स्मृति ईरानी मैदान में उतरीं, तो उनकी छवि एक टीवी सीरियल की संस्कारी बहू वाली थी। उस समय स्मृति ईरानी ने खुद को 'अमेठी की दीदी' कह कर परिचय दिया था, लेकिन एक दशक बाद 2024 में अमेठी की आक्रामक दीदी बनकर अवधि भाषा मे चुनाव प्रचार कर रही हैं।

अमेठी में 5 साल पहले 2019 में स्मृति ईरानी की कोई सभा ऐसी नहीं थी, जिसमें वे राहुल गांधी का नाम न लेती रही हों। 2014 के चुनाव में वे रोजाना राहुल गांधी से एक सवाल किया करती थीं और कहती थीं कि अमेठी पूछे एक सवाल। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी के सांसद रहते हुए उनके कराए गए विकास कार्यों को लेकर, वे उन्हें घेरा करती थीं।

एक दशक बाद बदल गया स्मृति ईरानी के प्रचार का अंदाज

अब एक दशक बाद स्मृति ईरानी (Smriti Irani) के प्रचार का अंदाज बिल्कुल बदला हुआ है। अब स्मृति ईरानी नुक्कड़ सभाओं के मंचों से सवाल नहीं करती हैं, बल्कि अमेठी (Amethi) में अपने कराए गए विकास कार्यों का सिलसिलेवार ब्योरा देती हैं। ककवा ओवर ब्रिज से लेकर अमेठी बाईपास, तिलोई का मेडिकल कॉलेज, सैनिक स्कूल केंद्रीय विद्यालय जैसे बड़े उपक्रमों के साथ ही जिले में किसान सम्मान निधि, राशन, बिजली कनेक्शन, शौचालय आदि के लाभार्थियों का डेटा उन्हें मुंह जुबानी याद है। जिसे वे हर मंच से बताती हैं।

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